जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर कुठेड़ा के उबक क्षेत्र में शुक्रवार को 40 साल पुराने शिव-पार्वती और शनि देव मंदिर को तोड़ने के विरोध में माहौल तनावपूर्ण रहा। मंदिर के पास के मकान के छज्जे को भी तोड़ने के लिए आए प्रशासन, पुलिस और पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
हालांकि, दोपहर बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ और मंदिर की मूर्तियों को विधिवत तरीके से हटा लिया गया।
कोर्ट का आदेश
मामले की शुरुआत एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा सरकारी रास्ते को बाधित करने और अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से हुई। हाईकोर्ट ने मंदिर और मकान के छज्जे को तोड़ने के आदेश दिए।

स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय लोगों ने कहा कि यह मंदिर उनकी आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। उन्होंने अपनी जमा पूंजी से इसका निर्माण किया है। “यह केवल एक इमारत नहीं, हमारी आस्था का प्रतीक है,” एक स्थानीय महिला ने कहा।
स्थिति को शांत करना
हमीरपुर के तहसीलदार सुभाष और सदर थाना प्रभारी बाबूराम शर्मा ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लोगों को समझाया। कई घंटों की बातचीत के बाद मूर्तियों को सम्मानपूर्वक हटाया गया और विध्वंस का काम शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हुआ।
पृष्ठभूमि
मामला सरकारी सड़क पर अतिक्रमण के आरोपों से जुड़ा है। शिकायतकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़े निर्देश जारी किए।
आगे की राह
हालांकि माहौल शांत हो गया है, लेकिन यह घटना स्थानीय समुदाय को कानून और आस्था के बीच संतुलन पर सोचने के लिए मजबूर कर रही है।
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