कविता वह कला है जो मनुष्य के विचारों और भावनाओं को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त करती है। 18 वर्षीय गौरजा कौशल ने अपनी कविताओं से यह साबित कर दिया है कि यदि जज्बा हो, तो उम्र कभी भी रचनात्मकता के रास्ते में नहीं आती। डल्हौजी की रहने वाली गौरजा बचपन से ही कविता लिखने की शौकीन रही हैं, और अब तक वह 50 से अधिक कविताएं लिख चुकी हैं। खास बात यह है कि उनकी अधिकतर कविताएं अंग्रेजी भाषा में लिखी गई हैं, जो उनके लेखन कौशल को दर्शाती हैं।
गौरजा की शिक्षा डल्हौजी के सैक्रेट हार्ट कान्वेंट स्कूल से 10वीं कक्षा तक हुई है। इसके बाद उन्होंने अपनी जमा 2 की पढ़ाई चंडीगढ़ से की, और वर्तमान में वह लॉ की तैयारी कर रही हैं। गौरजा के पिता, राजीव कौशल, वकील हैं, जबकि उनकी माता, राखी कौशल, नगर परिषद डल्हौजी की कार्यकारी अधिकारी हैं।
गौरजा की कविताएं मानवता और प्रकृति जैसे विषयों पर आधारित हैं, जो उनके लेखन में गहरी सोच और संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। वह मानती हैं कि कविता एक ऐसा माध्यम है, जिससे दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है और यही कारण है कि वह अपने लेखन के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करती हैं।
गौरजा की मां, राखी कौशल, ने बताया कि गौरजा का लेखन का शौक बचपन से था। वह कहती हैं, “गौरजा के लिए लेखन सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि एक जुनून बन चुका है। हमेशा से उसकी रचनाओं में कुछ अलग ही बात होती है।”
गौरजा न केवल एक होशियार छात्रा हैं, बल्कि अपनी कविता के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का अद्भुत तरीका जानती हैं। उनका यह संदेश है कि रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए और युवाओं को अपनी क्षमता को पहचानने और उसे व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
गौरजा का लेखन भविष्य में और भी ऊंचाइयों तक पहुंचेगा, ऐसा विश्वास उनके परिवार और मित्रों को है। वह अपने सपनों को साकार करने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।
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