हिमाचल प्रदेश इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। राज्य के मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच चुका है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। तेज लू और चिलचिलाती धूप के बीच खासतौर पर बच्चों के लिए स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए अब स्कूलों की समयसारिणी में बदलाव की मांग उठने लगी है। शिक्षकों और अभिभावकों का कहना है कि सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक का समय मौजूदा हालात में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए स्कूलों का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया जाना चाहिए।

प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, सिरमौर और बिलासपुर जैसे जिलों में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। इनमें से ऊना जिले के सभी स्कूलों में 1 जून से 30 जून तक गर्मी की छुट्टियां घोषित की गई हैं। इसी तरह सोलन जिले के नालागढ़, कांगड़ा के फतेहपुर, नगरोटा सूरियां और इंदौरा, सिरमौर के पांवटा साहिब और कालाअंब में भी पूरे जून महीने की समर वैकेशन है। लेकिन हमीरपुर, मंडी, बिलासपुर, सोलन और कुल्लू के कई हिस्सों में स्कूल अभी खुले हुए हैं, जहां बच्चों को तेज गर्मी में रोजाना 6 घंटे स्कूल में बिताने पड़ रहे हैं।
भीषण गर्मी के कारण कुछ जिलों में लू चल रही है, जिससे स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इस स्थिति में स्कूलों के समय में बदलाव की मांग तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों से शिक्षक और अभिभावक समयसारिणी में बदलाव की मांग कर रहे हैं। इसके लिए लगातार फोन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष कोहली के समक्ष रखा जाएगा ताकि बच्चों को राहत मिल सके।
इस बीच पहाड़ी इलाकों जैसे शिमला और मनाली में भी तापमान सामान्य से ज्यादा हो गया है, जिससे यह स्पष्ट है कि गर्मी का असर पूरे प्रदेश में महसूस किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों और अभिभावकों की यह मांग पूरी तरह तर्कसंगत नजर आती है। अब सभी की नजरें राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।
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