शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार बायो इंजीनियरिंग तकनीक का इस्तेमाल करके भूस्खलन रोकने की योजना बना रही है। लोक निर्माण विभाग के बागवानी विंग ने सोलन, शिमला और सिरमौर के 40 स्थानों को चिन्हित किया है। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 5 करोड़ रुपये होगी। प्रोजेक्ट तैयार करके एसडीएमए से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
आपदा प्रोजेक्ट्स में बायो इंजीनियरिंग जरूरी केंद्र सरकार ने आपदा प्रोजेक्ट्स में 20% काम बायो इंजीनियरिंग के तहत करना अनिवार्य किया है। इसमें प्राकृतिक तरीकों से भूस्खलन को रोका जाता है, जिसमें घास, झाड़ियां, और पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। यह तकनीक पहले ही शिमला के आईएसबीटी के पास और सोलन-परवाणू सड़क के एक स्थान पर सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है।
60 लाख की नर्सरी से भूस्खलन क्षेत्रों में पौधारोपण लोक निर्माण विभाग का बागवानी विंग 60 लाख रुपये की नर्सरी बनाएगा, जिसमें 2 से 5 लाख पौधे तैयार किए जाएंगे। इन पौधों का इस्तेमाल भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में किया जाएगा। सोलन की मल्ला सड़क और थुंडी गांव में भी बायो इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट के जरिए भूस्खलन से सुरक्षा मिलेगी।
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