Himachal: हिमाचल में सरकारी शराब ठेकों की बिक्री में भारी गिरावट, निगमों को हो रहा घाटा

हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित शराब ठेकों की बिक्री में इस वर्ष भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे इनका संचालन कर रहे निगमों और बोर्डों को घाटे की चिंता सताने लगी है। विभागीय सूत्रों की मानें तो बीते वर्ष की तुलना में इन ठेकों में 40 से 50 प्रतिशत तक कम बिक्री दर्ज की गई है। राज्य सरकार ने उन शराब ठेकों का जिम्मा विभिन्न सरकारी उपक्रमों को सौंपा था, जिनमें निजी ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई थी।

सरकार ने सामान्य उद्योग निगम, राज्य औद्योगिक विकास निगम, सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, एचपीएमसी, वन विकास निगम, हिमफेड और नगर निगम शिमला जैसे सरकारी संस्थानों को शराब बेचने का कार्य सौंपा है। इन निगमों ने अपने नियमित कर्मचारियों के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग से मल्टी टास्क वर्कर्स को भी लेकर शराब ठेकों में तैनात किया है। हालांकि इन संस्थानों ने सरकार के आदेश पर यह कार्य शुरू किया था, लेकिन अपेक्षित मुनाफा नहीं हो पा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, जिन ठेकों पर पहले हर महीने 40 से 50 लाख रुपये तक की बिक्री होती थी, अब वहां यह घटकर केवल 20 से 25 लाख रुपये प्रति माह रह गई है। इस गिरावट ने ठेकों का संचालन कर रहे निगमों के प्रबंधन को आर्थिक नुकसान की आशंका में डाल दिया है। ऐसे में कई निगमों और बोर्डों ने राज्य सरकार से मांग की है कि उन्हें इन ठेकों को सुचारू रूप से चलाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाए।

हालांकि सरकार ने इन संस्थाओं को थोड़ी राहत देते हुए यह निर्णय लिया है कि अब उन्हें 6 प्रतिशत सिक्योरिटी अमाउंट जमा नहीं कराना होगा, लेकिन इसके बावजूद वर्तमान बिक्री के आंकड़ों को देखते हुए घाटे से उबरना मुश्किल दिखाई दे रहा है। स्थिति को देखते हुए स्पष्ट है कि सरकार की यह नीति अपेक्षा के अनुसार सफल नहीं हो पा रही है, और निगमों को भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

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