हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा सूरियां में प्रशासन द्वारा पौंग बांध विस्थापितों की 16 दुकानों पर कब्जा और सील लगाने की कार्रवाई के बाद विवाद बढ़ गया है। यह कार्रवाई एसडीएम ज्वाली के आदेश पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने की। हालांकि, इस दौरान दो दुकानों के पास स्टे ऑर्डर था और दो अन्य दुकानें पीडब्ल्यूडी की सीमा से बाहर थीं।
दुकानदारों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए नारे लगाए और इसे विस्थापितों के अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि ज्वाली, धर्मशाला और शिमला जैसे बड़े क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। दुकानदारों ने कहा कि सरकार केवल गरीबों पर ही कार्रवाई कर रही है और बड़े व्यापारियों को लीज़ पर भूमि देने में कोई संकोच नहीं करती।
प्रमुख दुकानदारों में सुरेंद्र शर्मा, स्वर्ण धीमान, रिशु कुमार और मनीष कुमार ने बताया कि हाल ही में हुए देहरा उपचुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विस्थापितों को उनका हक दिलाने के लिए कानून में संशोधन करने की बात कही थी, लेकिन इस कार्रवाई से यह वादा चुनावी जुमला ही प्रतीत होता है।
1974 में हल्दून गांव से उजड़ कर आए पौंग बांध विस्थापितों ने नगरोटा सूरियां में इन दुकानों को बनाकर आजीविका शुरू की थी। प्रशासन की यह कार्रवाई उन्हें आजीविका के साधनों से भी वंचित कर रही है।
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