बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश: उपमंडल घुमारवीं की ग्राम पंचायत मेहड़वी के प्रधान और उपप्रधान को उनके आपसी विवाद और विकास कार्यों में लापरवाही के कारण निलंबित कर दिया गया है। उपायुक्त बिलासपुर, आबिद हुसैन सादिक, ने यह निर्णय पंचायतों के संचालन में पारदर्शिता लाने और जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए लिया।
विवाद और लापरवाही बनी कार्रवाई का कारण
ग्राम पंचायत में लंबे समय से प्रधान और उपप्रधान के बीच विवाद चल रहा था। इसके चलते पंचायत की बैठकों में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा था, और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सेवाओं के कार्य ठप हो गए थे। पंचायत सदस्यों और स्थानीय नागरिकों ने बार-बार शिकायतें कीं, लेकिन विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।
मुख्य बिंदु:
- सेवाएं प्रभावित:
प्रस्ताव पारित न होने और कोरम पूरा न होने की वजह से क्षेत्र में विकास कार्य ठप हो गए। बिजली विभाग ने बकाया बिलों के चलते बिजली आपूर्ति भी रोक दी, जिससे जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। - चेतावनी के बावजूद लापरवाही:
प्रधान और उपप्रधान को पहले चेतावनी दी गई थी कि वे अपने विवाद सुलझाकर कार्यशैली में सुधार करें। लेकिन सुधार न होने के चलते प्रशासन को यह कठोर कदम उठाना पड़ा। - पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्रवाई:
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत जनहित में बाधा उत्पन्न करने और लापरवाही के मामलों में जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
उपायुक्त का बयान:
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने कहा,
“ग्राम पंचायतों का मुख्य उद्देश्य जनहित के कार्यों को प्राथमिकता देना है। जो जनप्रतिनिधि विकास कार्यों में बाधा डालेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
आगे का कदम:
निलंबन के बाद प्रशासन ने पंचायत के अन्य सदस्यों और बीडीओ को निर्देश दिया है कि विकास कार्यों को तुरंत शुरू किया जाए और जनता को आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाएं।
यह निर्णय पंचायतों के सही संचालन और क्षेत्रीय विकास को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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