मंडी, 29 सितंबर 2025। जिला स्तरीय समीक्षा समिति और जिला सलाहकार समिति की बैठक सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम में उपायुक्त अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जिले की प्रगति की समीक्षा करना और वित्तीय समावेशन, बैंकिंग सेवाओं, शिक्षा ऋण एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के उपायों पर चर्चा करना था।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वित्तीय समावेशन राज्य और केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सक्रिय भूमिका बढ़ाने और वित्तीय साक्षरता को व्यापक स्तर पर फैलाने के लिए निर्देश दिए। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि ग्रामीण जनता को बैंकिंग सेवाओं, डिजिटल लेन-देन और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पूरी जानकारी समय पर प्रदान की जाए। इसके लिए ग्राम सभाओं में नियमित वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।
बैठक में उपायुक्त ने बैंकों को निर्देश दिए कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के लंबित मामलों की जानकारी लाभार्थियों तक तुरंत पहुंचाई जाए। इससे स्वयं सहायता समूहों को समय पर ऋण सुविधा मिल सके और उनके कारण स्पष्ट किए जा सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि लंबित सरकारी प्रायोजित मामलों का निपटारा प्राथमिकता पर होना चाहिए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को मजबूत किया जा सके।

उपायुक्त ने बताया कि जिले का क्रेडिट डिपोज़िट रेशियो (सीडी रेशियो) वर्तमान में 30.12 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 60 प्रतिशत है। उन्होंने बैंकों से कहा कि जिले में ऋण वितरण की गति बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा ऋण और स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देने तथा महिला और कमजोर वर्गों के लिए विशेष योजनाओं का प्रचार करने पर बल दिया।
बैठक में लीड बैंक मैनेजर चंद्र प्रकाश ने जिले में बैंकिंग गतिविधियों की स्थिति पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 30 जून तक जिले में कुल जमा राशि 23,874.84 करोड़ रुपये रही, जबकि अग्रिम ऋण 7,190.76 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 97 मामलों में कार्रवाई हुई, जिनमें से 10 मामले स्वीकृत किए गए। एनआरएलएम के तहत 286 स्वयं सहायता समूहों को 901.40 लाख रुपये का ऋण दिया गया।

उपायुक्त अपूर्व देवगन ने यह भी कहा कि बैंकों को डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लेन-देन की पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को किफायती एवं समयबद्ध बैंकिंग सेवाएं मिल सकेंगी। उन्होंने बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्वयं सहायता समूहों के लिए ऋण की प्रक्रिया को सरल और तेज करें, ताकि ग्राम स्तर पर स्वरोजगार और व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।
बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त गुरसिमर सिंह, एलडीओ आरबीआई तरुण चौधरी (ऑनलाइन), मुख्य प्रबंधक पीएनबी पीडी शर्मा, निदेशक आरसेटी सुरेंद्र कुमार, अतिरिक्त आयुक्त नगर निगम विजय कुमार, जिला विकास अधिकारी गोपी चंद पाठक और विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं बैंक प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने उपायुक्त के निर्देशों के अनुसार अपने-अपने विभागों और शाखाओं में शीघ्र कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
उपायुक्त ने बैठक में विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि महिला एवं कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाने वाले सभी कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू हों। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों को समय पर ऋण की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि उनके स्वरोजगार और वित्तीय स्थिति में सुधार हो। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, जैसे वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और दिव्यांग पेंशन के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल और लाभार्थियों के अनुकूल बनाया जाए।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जिले के विभिन्न ग्राम सभाओं में नियमित वित्तीय साक्षरता शिविर लगाए जाएंगे। इन शिविरों के माध्यम से ग्रामीण जनता को बैंकिंग सेवाओं, ऋण प्राप्ति, डिजिटल भुगतान, बीमा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। यह कदम वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी गति देगा।
उपायुक्त ने यह भी बताया कि जिला प्रशासन बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिससे बैंक अधिकारियों और ग्राम स्तर के प्रतिनिधियों को वित्तीय समावेशन, ऋण वितरण और डिजिटल लेन-देन के नवीनतम तरीकों से अवगत कराया जा सके। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्रामीण जनता को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
बैठक में उपायुक्त ने यह निर्देश भी दिया कि सभी लंबित सरकारी प्रायोजित मामलों और एनआरएलएम परियोजनाओं का निपटारा शीघ्र किया जाए। उन्होंने बैंकों को प्राथमिकता के आधार पर लंबित ऋण मामलों को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार और व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।

उपायुक्त ने बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा ऋण, स्वरोजगार योजनाएं और महिला एवं कमजोर वर्गों के लिए विशेष योजनाओं का प्रचार प्रभावी ढंग से किया जाए। सभी बैंक अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और बैंकिंग सेवाओं की जानकारी ग्रामीण जनता तक समय पर पहुंचाएं।
बैठक के समापन पर उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि वित्तीय समावेशन और बैंकिंग जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सभी विभागों, अधिकारियों और बैंक प्रतिनिधियों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया कि ग्रामीण जनता को बैंकिंग सेवाओं, ऋण और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ समय पर और सही तरीके से मिले।
इस बैठक के माध्यम से मंडी जिले में वित्तीय समावेशन, शिक्षा ऋण, स्वरोजगार योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग जागरूकता और ऋण वितरण को मजबूत करने के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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