कांगड़ा, 30 दिसंबर – राष्ट्रीय फैशन संस्थान (एनआईएफटी), छेब, कांगड़ा में राजभाषा हिंदी की महत्ता पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में हिंदी के महत्व और इसकी व्यापकता पर प्रकाश डाला गया।
कार्यशाला का शुभारंभ एनआईएफटी के संयुक्त निदेशक दिनेश रांगड़ा ने किया। उन्होंने कहा, “हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि पूरे देश को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी है। सूचना क्रांति के दौर में हिंदी की पहुंच ग्रामीण स्तर तक हो चुकी है, जिससे यह हर व्यक्ति के लिए सुलभ हो गई है।”

हिंदी को मिला वैश्विक सम्मान
मुख्य वक्ता और जिला लोक संपर्क अधिकारी विनय शर्मा ने हिंदी के वैश्विक उभार पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हिंदी बोलने वालों की मांग विदेशों में तेजी से बढ़ रही है। विश्व के 50 से अधिक देशों में हिंदी के पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध है। डिजिटल युग में हिंदी की व्यापकता ने इसे वैश्विक मंच पर स्थापित किया है।”
उन्होंने बताया कि शिक्षा, रोजगार, साहित्य, पर्यटन और तकनीकी जैसे क्षेत्रों में हिंदी ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हैं। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, और आईबीएम जैसी कंपनियां हिंदी को बढ़ावा दे रही हैं। एक अध्ययन के अनुसार, ऑनलाइन हिंदी सामग्री की खपत में 94% की वृद्धि हुई है।
आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव
हिंदी का प्रभाव केवल सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। यह भारत की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति का प्रतीक भी बन चुकी है। वैश्विक व्यापार में हिंदी की बढ़ती भागीदारी ने भारत के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत किया है।

कार्यशाला की मुख्य बातें
कार्यक्रम के दौरान, शैक्षणिक समन्वयक विनोद शर्मा, सहायक आचार्य नीरज जायसवाल, और लेखा अधिकारी मान सिंह ने भी हिंदी की उपयोगिता पर अपने विचार रखे। हिंदी अधिकारी ऋतु रानी ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए हिंदी को राष्ट्र की प्रगति में अहम बताया।
निष्कर्ष
हिंदी भाषा न केवल भारत को एकजुट करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी प्रासंगिकता लगातार बढ़ रही है। आधुनिक युग में हिंदी की भूमिका हमारी सांस्कृतिक पहचान, आर्थिक प्रगति और डिजिटल विस्तार का प्रतीक है।
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