Mandi: हिमाचल में कुदरत का कहर: मानसून बना विनाश का पर्याय, मंडी सबसे ज्यादा प्रभावित

हिमाचल प्रदेश इन दिनों प्रकृति के भीषण प्रकोप से जूझ रहा है। मानसून की शुरुआत के साथ ही राज्य में लगातार बारिश, भूस्खलन, बादल फटना और अचानक आई बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहाड़ों की ढलानों पर बसे अनेक गांव अब खतरे की सीधी जद में हैं, जहां कई परिवार एक ही झटके में बेघर हो गए हैं। जून के आखिरी सप्ताह से शुरू हुई इस प्राकृतिक आपदा में अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 20 जून से अब तक प्रदेश में वर्षा से जुड़ी घटनाओं में 170 लोगों की मौत हो चुकी है। इस दौरान 278 लोग घायल हुए हैं और 36 लोग अभी भी लापता हैं। सबसे अधिक नुकसान मंडी जिले में हुआ है, जहां अब तक 35 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 27 लोग लापता हैं। इसके अलावा कांगड़ा जिले में 25, कुल्लू व चंबा में 17-17, शिमला में 14, हमीरपुर, सोलन, किन्नौर और ऊना में 11-11 लोगों की जान गई है। बिलासपुर में 8, लाहौल-स्पीति में 6 और सिरमौर में 4 लोगों की मौत हुई है।

राज्य में अब तक 43 बार फ्लैश फ्लड, 26 बार बादल फटने और 34 बार भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन जानलेवा घटनाओं में कुल 103 लोगों की मौत हुई है। इसके अतिरिक्त बारिश के दौरान हुए सड़क हादसों में 76 लोगों की जान चली गई है, जिससे कुल मृत्यु संख्या और भी बढ़ गई है।

मानसून की वजह से राज्य में रहने वाले लोगों के घरों और मवेशियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक 1352 घर प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 469 पूरी तरह से ढह चुके हैं। अकेले मंडी जिले में 986 घर प्रभावित हुए हैं और इनमें से 376 घरों का नामोनिशान मिट गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों लोग अब खुले आसमान के नीचे जीवन बिताने को मजबूर हो गए हैं। इसके अलावा, इस आपदा में लगभग 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1,402 मवेशी भी मारे गए हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है।

प्राकृतिक आपदा का असर सिर्फ जनजीवन पर ही नहीं पड़ा, बल्कि सरकारी विभागों को भी भारी नुकसान हुआ है। राज्य सरकार के अनुसार अब तक कुल नुकसान का आंकड़ा 1,538 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इस नुकसान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी लोक निर्माण विभाग की है, जिसे करीब 780 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा जलशक्ति विभाग को लगभग 513 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है।

हिमाचल प्रदेश में आई यह आपदा न सिर्फ एक प्राकृतिक त्रासदी है, बल्कि राज्य की आपदा प्रबंधन व्यवस्था की परीक्षा भी है। सरकार और राहत एजेंसियां स्थिति को संभालने में जुटी हैं, लेकिन जिन परिवारों ने सब कुछ खो दिया है, उनके लिए यह समय अत्यंत कठिन है।

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