शिमला में सोमवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने बिलासपुर-मनाली-लेह रेल परियोजना को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का सैटेलाइट आधारित सर्वेक्षण कार्य तुर्की की एक विदेशी कंपनी को सौंपा गया है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना चीन की सीमा से लगे संवेदनशील क्षेत्र लेह से होकर गुजरती है, और इस सर्वे के जरिए दुश्मन देशों को सामरिक महत्व की महत्वपूर्ण भौगोलिक जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं।
राठौर ने इसे केंद्र सरकार का आत्मघाती कदम बताते हुए मांग की कि इस विदेशी कंपनी के साथ किया गया करार तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और कंपनी को इस कार्य से हटाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा, अस्मिता और आत्मनिर्भरता से जुड़ा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2023 में जब तुर्की में भीषण भूकंप आया था, तब भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सबसे पहले मानवीय सहायता भेजी थी। इसके बावजूद जब भारत को पुलवामा जैसे आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा या जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, तब तुर्की और अजरबैजान ने चुप्पी साधी, बल्कि पाकिस्तान के समर्थन में ड्रोन भेजने जैसे कदम उठाए।
राठौर ने आगे कहा कि व्यापारिक लाभ राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यापार और शत्रुता एक साथ नहीं चल सकती। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों जैसे पुणे, हरियाणा और हिमाचल में व्यापारियों ने पहले ही तुर्की से आयात बंद कर दिया है, जो एक जागरूक और राष्ट्रवादी सोच का प्रमाण है। इसके साथ ही उन्होंने तुर्की और अजरबैजान से सेब, चेरी जैसी वस्तुओं के आयात पर भी कड़ी आपत्ति जताई।
उन्होंने हवाला नेटवर्क के ज़रिए की जा रही आर्थिक गतिविधियों पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि तुर्की और अन्य देशों से जो सेब भारत आ रहे हैं, उनकी कीमत जानबूझकर कम आंकी जाती है और उनका आंशिक भुगतान बैंकिंग माध्यम से जबकि शेष राशि हवाला चैनलों से भेजी जाती है। यह लेन-देन व्यवस्था देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है और आतंकवाद को आर्थिक सहयोग भी प्रदान कर सकती है। उन्होंने इस पर सख्त निगरानी की मांग की।
राठौर ने प्रदेश के सांसदों से अपील की कि वे संसद में इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाएं ताकि हिमाचल प्रदेश के किसानों, व्यापारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हितों की अनदेखी न हो। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि सेब और अन्य फलों के न्यूनतम आयात मूल्य को 50 से 100 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए ताकि सस्ते आयात से स्थानीय किसानों को हो रहा नुकसान रोका जा सके।
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