शिमला के विवादित संजौली मस्जिद मामले में जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने नगर निगम (MC) कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के आदेश जारी किए हैं।
बुधवार को आए इस फैसले में अदालत ने वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया। दोनों पक्षों ने एमसी कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन जिला अदालत में कोई ठोस सबूत या दस्तावेज पेश नहीं किए जा सके।
6 अक्टूबर को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी। अब इस पर अंतिम फैसला आ गया है।
फैसला आने के बाद जश्न, बांटी गई मिठाइयाँ
फैसले के बाद रैजीडैंट सोसायटी और हिंदू संगठनों के सदस्यों ने राहत की सांस ली और मिठाइयाँ बांटकर खुशी जाहिर की। उनका कहना है कि यह फैसला “ऐतिहासिक” है और लंबे समय से चल रहे विवाद पर न्यायिक मुहर है।
“अब निगम गिराए अवैध ढांचा” — स्थानीय वकील जगतपाल ठाकुर
स्थानीय निवासियों के वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि अब अदालत का फैसला साफ हो चुका है, इसलिए नगर निगम को तुरंत कार्रवाई करते हुए अवैध ढांचे को गिराना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस मस्जिद से जुड़े चार बड़े कोर्ट फैसले पहले ही आ चुके हैं—
24 अक्टूबर 2023 को एमसी कोर्ट ने दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल गिराने का आदेश दिया था। 3 नवंबर 2024 को जिला अदालत ने एमसी कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। 3 मई 2025 को एमसी कोर्ट ने निचली दो मंजिलों को भी अवैध घोषित कर गिराने का निर्देश दिया। अब 30 अक्टूबर 2025 को जिला अदालत ने फिर वही फैसला दोहराया।
जगतपाल ने कहा कि अब समय आ गया है जब प्रशासन को अदालतों के आदेशों पर अमल करना चाहिए।
“हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे” — मस्जिद कमेटी
दूसरी ओर, संजौली मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रमुख मोहम्मद लतीफ ने कहा कि अदालत का फैसला मिलने के बाद अगली कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा — “हम हाईकोर्ट और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। न्याय की आखिरी कोशिश करेंगे।”
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद 16 साल पुराना है और अब तक 50 से ज्यादा बार सुनवाई हो चुकी है।
2024 में मामला तब सुर्खियों में आया, जब मैहली में दो गुटों के बीच झड़प के बाद यह मुद्दा फिर भड़क गया। इसके बाद 1 और 5 सितंबर को हिंदू संगठनों ने शिमला में प्रदर्शन किए और 11 सितंबर को संजौली-ढली इलाके में विरोध उग्र हो गया।
स्थिति संभालने के लिए पुलिस को वाटर कैनन और हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
इसके बाद 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने खुद एमसी कोर्ट में पहुंचकर अवैध हिस्से को तोड़ने की पेशकश की थी, लेकिन कोर्ट ने 3 मई को अपना अंतिम फैसला दे दिया था।
अब जिला अदालत ने भी उसी फैसले पर मोहर लगा दी है।
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