Home हिमाचल मंडी Mandi: सराज की तबाही में टूटा एक और परिवार: बुद्धे राम ने बचाई 25 जानें, खुद न बच सके

Mandi: सराज की तबाही में टूटा एक और परिवार: बुद्धे राम ने बचाई 25 जानें, खुद न बच सके

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Mandi: सराज की तबाही में टूटा एक और परिवार: बुद्धे राम ने बचाई 25 जानें, खुद न बच सके

हिमाचल प्रदेश के सराज क्षेत्र में हाल ही में आई विनाशकारी आपदा ने कई परिवारों को गहरे दुख और नुकसान के गर्त में धकेल दिया। थुनाग के रहने वाले 59 वर्षीय बुद्धे राम की कहानी इस त्रासदी की भयावहता को बेहद करीब से बयां करती है। बुद्धे राम थुनाग में एक छोटी सी ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते थे और साधारण जीवन जीते थे। लेकिन जब आपदा ने क्षेत्र को अपनी चपेट में लिया, तो उन्होंने जिस साहस और मानवता का परिचय दिया, वह असाधारण था।

आपदा की रात जब थुनाग का संपर्क पूरी दुनिया से कट गया, तो आसपास के कई घरों पर संकट मंडराने लगा। उसी समय सामने वाला एक मकान पूरी तरह से मलबे में दब गया। बुद्धे राम ने बिना देर किए उस घर से 10 लोगों को बाहर निकाल कर अपने घर में शरण दी, जिनमें दो छोटे बच्चे भी शामिल थे। उस वक्त उनके घर में करीब 25 लोग मौजूद थे। जब मूसलाधार बारिश के साथ पानी का बहाव उनके घर तक पहुँचने लगा और ट्रकों को अपनी चपेट में लेने लगा, तो बुद्धे राम ने हिम्मत दिखाते हुए कहा – “ऐसी गाड़ियाँ हजारों आ जाएँगी, अभी यहाँ से भागो और अपनी जान बचाओ।”

उन्होंने सभी लोगों को खेतों की ओर सुरक्षित निकालने की कोशिश की और कई लोगों को वहाँ तक पहुँचाया भी। लेकिन जैसे ही वे खुद वहाँ पहुँचे, अचानक गिर पड़े। उनके किराएदार पवन कुमार और अन्य लोगों ने उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की, सीने में पंपिंग की और हाथ-पैर भी दबाए, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

उधर, उनका बेटा बबलू उस समय काम के सिलसिले में बाहर था। आपदा की जानकारी मिलने के बाद जब तीसरे दिन गाड़ियाँ किसी तरह बगस्याड़ तक पहुँचीं, तो वह वहीं से पैदल घर की ओर निकल पड़ा। रास्ते में उसे यह हृदयविदारक खबर मिली कि उसके पिता का निधन आपदा वाली रात को ही हो गया था। जब वह घर पहुँचा, तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था। छोटे भाई यशवंत ने सभी रस्में पूरी कीं।

इस त्रासदी में न सिर्फ उनके पिता की जान गई, बल्कि उनका एक मंज़िला घर और ट्रक समेत ट्रांसपोर्ट कंपनी की अन्य गाड़ियाँ भी मलबे में दबकर पूरी तरह बर्बाद हो गईं। बुद्धे राम के घर की जो मंज़िल तबाह हुई, उसमें ज़्यादातर किरायेदार रहते थे, और उन्हें भी भारी नुकसान हुआ है। यह कहानी सराज में आई आपदा की दर्दनाक सच्चाई को उजागर करती है और यह दिखाती है कि कैसे एक आम इंसान ने आपदा की घड़ी में दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।

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