Shimla: शिमला के संजौली थाना क्षेत्र में नाबालिग बच्ची से छेड़छाड़ का मामला, पुलिस ने दर्ज किया केस

राजधानी शिमला के संजौली थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ और अशोभनीय व्यवहार किए जाने की शिकायत दर्ज हुई है। यह घटना सोमवार शाम की बताई जा रही है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पोक्सो एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

बच्ची की मां ने पुलिस में दर्ज शिकायत में बताया कि उनकी 12 वर्षीय बेटी अपनी सहेलियों के साथ मोबाइल फोन देख रही थी। इसी दौरान पास ही मौजूद एक व्यक्ति वीरेंद्र ने तीनों बच्चियों से कथित तौर पर अभद्र व्यवहार करना शुरू कर दिया। आरोप है कि आरोपी ने बच्चियों को गलत तरीके से छूने की कोशिश की और उनकी ओर अश्लील इशारे भी किए। इसके साथ ही उसने बच्ची का मोबाइल फोन छीनने का प्रयास किया।

जब बच्ची ने इसका विरोध किया, तो वह तुरंत अपनी सहेलियों के साथ पास की एक दुकान में अपनी मां के पास पहुंची और पूरी घटना की जानकारी दी। बच्चियों के पीछे-पीछे आरोपी भी दुकान पर पहुंच गया। वहां उसने शिकायतकर्त्ता महिला और उनकी बेटी को गालियाँ दीं और जान से मारने की धमकी तक दी।

पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने संजौली थाना में बीएनएस की धारा 75, 79, 352, 351(2) और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच शुरू कर दी है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी हैं।

घटना ने खड़ा किया बड़ा सवाल

इस घटना ने राजधानी शिमला जैसे शांत माने जाने वाले शहर में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मानते हैं कि जहां राज्य की राजधानी और शैक्षिक केंद्रों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, वहां समाज को सजग होने और सुरक्षा के इंतजामों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

अक्सर देखा गया है कि इस तरह की घटनाओं में पड़ोसी, परिचित या आसपास के लोग ही शामिल होते हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित परिवारों को मानसिक आघात झेलना पड़ता है और बच्चियों का आत्मविश्वास भी प्रभावित होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज, परिवार और प्रशासन सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे।

पोक्सो एक्ट की अहमियत

इस मामले में पुलिस ने पोक्सो एक्ट (POCSO Act – Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत केस दर्ज किया है। यह कानून विशेष रूप से बच्चों को यौन शोषण, उत्पीड़न और अभद्र व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। पोक्सो एक्ट में नाबालिगों से जुड़े अपराधों के लिए कठोर सज़ा का प्रावधान है।

इस कानून का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा यौन शोषण का शिकार न बने और यदि ऐसी घटना होती है तो पीड़ित को त्वरित न्याय और आरोपी को कड़ी सज़ा मिल सके। इस मामले में पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज होने से साफ है कि पुलिस इसे बेहद गंभीरता से ले रही है।

बीएनएस की धाराएँ क्यों लागू की गईं

बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की जिन धाराओं का जिक्र इस मामले में हुआ है, वे मुख्य रूप से उत्पीड़न, गाली-गलौज, धमकी और अभद्र व्यवहार से जुड़ी हैं। उदाहरण के तौर पर धारा 352 और 351(2) मारपीट व डराने-धमकाने से संबंधित हैं। इन धाराओं का उद्देश्य समाज में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

पुलिस की भूमिका और कार्रवाई

पुलिस का कहना है कि शिकायत मिलते ही मामला दर्ज कर लिया गया और जांच शुरू कर दी गई है। आरोपी की तलाश की जा रही है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर कदम उठाया जाएगा।

बच्चियों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता जरूरी

इस घटना ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि बच्चियों की सुरक्षा केवल पुलिस या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि परिवार और समाज को भी सजग रहना होगा। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बच्चियों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करें और उन्हें आत्मरक्षा के तरीके भी सिखाएँ।

विद्यालय और समाजिक संस्थाएँ भी इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम, वर्कशॉप और आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाने चाहिए। इससे बच्चियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे किसी भी आपात स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने में सक्षम होंगी।

समाज की जिम्मेदारी

बच्चियों की सुरक्षा के मामले में समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि कोई व्यक्ति आसपास किसी नाबालिग बच्ची के साथ अभद्र व्यवहार करता है या उसे परेशान करता है, तो तुरंत इसका विरोध किया जाना चाहिए और पुलिस को सूचित करना चाहिए। मौन रहना ऐसे अपराधियों को बढ़ावा देता है।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज को सजग रहना होगा और किसी भी प्रकार की घटना को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। खासकर सार्वजनिक स्थानों पर यदि कोई बच्ची अकेली है या उसके साथ छेड़छाड़ हो रही है तो हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है कि वह उसकी मदद करे।

निष्कर्ष

शिमला के संजौली थाना क्षेत्र में नाबालिग बच्ची के साथ हुई यह घटना बेहद चिंताजनक है। हालांकि, राहत की बात यह है कि पीड़िता की मां ने साहस दिखाते हुए तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर लिया। पोक्सो एक्ट और बीएनएस की धाराओं के तहत दर्ज यह केस आरोपी के लिए कठोर सज़ा का मार्ग प्रशस्त करेगा।

यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि हमें बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। बच्चों के साथ किसी भी तरह का उत्पीड़न अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ आवाज उठाना हर नागरिक का कर्तव्य है। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस जल्द से जल्द आरोपी को गिरफ्तार करेगी और पीड़ित बच्ची को न्याय मिलेगा।

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