Mandi: आत्मनिर्भर हिमाचल की मिसाल: रक्षा देवी और शीतला स्वयं सहायता समूह की सफलता की कहानी

हिमाचल प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। इन योजनाओं से मिली मदद और प्रोत्साहन के कारण महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी बल्ह घाटी के मैरमसीत क्षेत्र के बैरी गांव की रक्षा देवी की है। रक्षा देवी पहले एक गृहिणी थीं, लेकिन शीतला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने अपने कौशल को पहचाना और उसे व्यवसाय में बदला। कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर से उन्हें मोटे अनाज के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण मिला, जिसमें मल्टीग्रेन कचौरी, सिड्डू, कोदरे की चाय और पारंपरिक मिठाइयां शामिल हैं।

गांव में हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (जाइका) के आने से उन्हें और भी अवसर मिले। रक्षा देवी अपने समूह के साथ मल्टीग्रेन आटा, जौ, कोदरे, चावल, अलसी और स्थानीय सीरे जैसे उत्पाद बनाती हैं। इसके अलावा, समूह हस्तशिल्प का भी निर्माण करता है। शीतला स्वयं सहायता समूह के तहत उन्हें रिटेल आउटलेट भी मिला है, जहाँ से वे अपने उत्पाद बेचकर प्रतिमाह लगभग एक लाख रुपए की आमदनी कर रही हैं। इस आउटलेट में तीन अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिला है।

सितंबर 2024 से समूह ने नए खाद्य पदार्थ जैसे सिड्डू, कचौरी और कोदरे की चाय बनाना शुरू किया है। इसके साथ ही, हर सोमवार और गुरुवार को वे सरसों का साग, मक्की की रोटी और राजमा-चावल भी तैयार करते हैं। सुंदरनगर के न्यायालय, सरकारी अस्पताल, पुलिस स्टेशन और अन्य संस्थानों के कर्मचारी नियमित रूप से इनके उत्पाद खरीदते हैं और उनकी गुणवत्ता की प्रशंसा करते हैं।

रक्षा देवी ने प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि सरकार के सहयोग और प्रशिक्षण ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। उनका समूह न केवल स्वयं का भरण-पोषण कर रहा है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी रोजगार प्रदान कर रहा है। यह कहानी हिमाचल की उन कई महिलाओं की है, जो सरकार की योजनाओं और अपनी मेहनत से आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को साकार कर रही हैं।

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