शिमला, हिमाचल प्रदेश: जल शक्ति विभाग में 2017 से कार्यरत पैरा वर्कर्ज ने अपने वेतन और स्थायी नीति की मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। महज ₹5,000 मासिक वेतन मिलने से नाराज वर्कर्ज ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगामी बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा।
शनिवार को शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता में पैरा वर्कर्ज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष महेश शर्मा ने कहा कि सरकार से कई बार बैठकें करने के बावजूद उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो प्रदेशभर के पैरा वर्कर्ज मजबूरन बजट सत्र के दौरान बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
पैरा वर्कर्ज की प्रमुख मांगें
पैरा वर्कर्ज का कहना है कि ₹5,000 का वेतन इस महंगाई के दौर में परिवार के एक सदस्य के लिए भी अपर्याप्त है। इसके अलावा, उन्हें किसी भी प्रकार की छुट्टी का अधिकार नहीं दिया गया है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं। विभाग ने उन्हें छह घंटे की ड्यूटी के लिए रखा था, लेकिन उनसे 8 से 10 घंटे काम लिया जा रहा है, जिसे तत्काल कम करने की मांग की गई है।
लंबित वेतन और स्थायी नीति की मांग
सोलन और सिरमौर समेत कई जिलों में पैरा वर्कर्ज को पिछले तीन से चार महीने से वेतन नहीं मिला है। यूनियन ने वेतन को ₹9,000 से ₹10,000 तक बढ़ाने और स्थायी नीति बनाने की मांग की है, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
यूनियन का कहना है कि सरकार को तुरंत उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो पैरा वर्कर्ज बजट सत्र के दौरान अपना विरोध और तेज करेंगे। उनका कहना है कि इन मांगों का समाधान न केवल उनकी आजीविका, बल्कि उनकी गरिमा के लिए भी आवश्यक है।
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