चंडीगढ़ प्रशासन और हिमाचल प्रदेश सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) के बीच एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने शिमला और मंडी यूनिट की दो बसों को बिना किसी संवाद के सैक्टर-17 बस स्टैंड पर जब्त कर लिया। यह घटना बीती रात की है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। चंडीगढ़ स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) ने यह कार्रवाई बिना रूट परमिट के बसें चलाने का आरोप लगाते हुए की।
जैसे ही यह मामला निगम प्रबंधन के ध्यान में आया, प्रबंध निदेशक (एमडी) रोहन चंद ठाकुर ने तुरंत चंडीगढ़ परिवहन सचिव से संपर्क किया। इसके बाद शिमला मुख्यालय से अधिकारियों की एक टीम चंडीगढ़ भेजी गई, जहां चंडीगढ़ एसटीए के साथ इस मुद्दे पर सौहार्दपूर्ण वार्ता हुई।
वार्ता के बाद समाधान की उम्मीद
एचआरटीसी ने स्पष्ट किया है कि निगम की बसें चंडीगढ़ में सभी औपचारिकताओं और एग्रीमेंट के तहत चलाई जा रही हैं। निगम ने विश्वास जताया है कि जल्द ही जब्त बसों को छोड़ दिया जाएगा। हालांकि, चंडीगढ़ प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई रूट परमिट न होने के कारण की गई है।
पहले भी हो चुका है विवाद
यह पहली बार नहीं है जब चंडीगढ़ प्रशासन और एचआरटीसी के बीच ऐसा विवाद हुआ है। करीब छह महीने पहले भी निगम की बसों को रोका गया था। उस समय विवाद इतना बढ़ गया था कि एचआरटीसी ने मोहाली से बसें चलाने का सुझाव दिया था, लेकिन बाद में चंडीगढ़ के सैक्टर-43 बस स्टैंड से ही सेवाएं जारी रखने का निर्णय हुआ।
सीटीयू के नए रूट पर विवाद
सूत्रों के अनुसार, चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) हिमाचल में नए रूट शुरू करना चाहती है। इसे लेकर दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि, हिमाचल में इंटरस्टेट एग्रीमेंट में इन रूट्स का उल्लेख नहीं है। यदि ऐसे दबाव जारी रहे, तो हिमाचल में सीटीयू की बसों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
एमडी एचआरटीसी का बयान
एमडी एचआरटीसी रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि निगम ने सभी नियमों और औपचारिकताओं का पालन करते हुए बसें चलाई हैं। चंडीगढ़ प्रशासन का यह कदम न केवल अनुचित है बल्कि यात्रियों को असुविधा पहुंचाने वाला भी है। उन्होंने कहा कि निगम वार्ता के जरिए समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।
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