हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक खेती का आदर्श राज्य बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के संकल्प को साकार करने के लिए राज्य सरकार और कृषि विभाग ने मिलकर व्यापक प्रयास शुरू किए हैं। आतमा परियोजना के माध्यम से किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी मुहिम में जिला हमीरपुर के बमसन ब्लॉक के गांव हरनेड़ निवासी प्रगतिशील किसान ललित कालिया भी सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं। ललित कालिया न केवल पूरी तरह से प्राकृतिक विधि से खेती कर रहे हैं, बल्कि भारत के पारंपरिक देसी बीजों के संरक्षण और वितरण में भी अहम योगदान दे रहे हैं। उनके अनुसार ये बीज प्राकृतिक खेती में एक क्रांति ला सकते हैं क्योंकि इनमें प्रतिकूल मौसम में भी अच्छी पैदावार की क्षमता होती है और यह पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं।
कुछ वर्ष पहले ललित कालिया ने रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को देखते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने पुश्तैनी खेतों में पूरी तरह प्राकृतिक विधि से फसलें उगानी शुरू कीं। इस दिशा में उन्हें कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अधिकारियों से निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिससे उनके प्रयासों को नया बल मिला। इसी परियोजना के माध्यम से ललित कालिया हिमआर्या नेटवर्क के संपर्क में आए और पारंपरिक बीजों को संरक्षित करने की प्रेरणा मिली। आज उनके पास अपने घर में ही एक समर्पित बीज बैंक मौजूद है, जिसमें गेहूं और मक्की के साथ कई प्रकार के पारंपरिक मोटे अनाज, दलहनी, तिलहनी फसलें तथा सब्जियों के देसी बीजों का भंडार है।
ललित कालिया के बीज बैंक में गेहूं की आठ प्रकार की देसी किस्में संरक्षित हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने मक्की और जौ की परंपरागत किस्में भी संभाल रखी हैं, जो पोषण में भरपूर होने के साथ-साथ कम वर्षा की स्थिति में भी अच्छी उपज देती हैं। उनके संग्रह में मंढल, कोदरा, कौंगणी और बाजरा जैसे पारंपरिक मोटे अनाजों के बीज भी मौजूद हैं। इसके अलावा कुल्थ, रौंग, माह और चना जैसी देसी दलहनी फसलें और सरसों व तिल की पुरानी किस्में भी इस बीज बैंक का हिस्सा हैं। वे लहसुन, प्याज, भिंडी, घीया, कद्दू, रामतोरी, धनिया, मैथी और अन्य सब्जियों के दुर्लभ बीज भी संरक्षित कर रहे हैं, जो आज कृषि वैज्ञानिकों के लिए भी रुचि और अध्ययन का विषय बन चुके हैं।
ललित कालिया ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों के लिए अलग से उच्च खरीद मूल्य तय करके प्रदेश सरकार ने किसानों को एक बड़ी सौगात दी है। उन्होंने बताया कि पिछले सीजन में उन्होंने एक क्विंटल से अधिक प्राकृतिक विधि से उगाई गई मक्की बेची थी और इस बार भी परिवार की आवश्यकता के अतिरिक्त एक क्विंटल से अधिक गेहूं की बिक्री कर बेहतर आय अर्जित की। ललित कालिया का मानना है कि सरकार के इन प्रयासों से भविष्य में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और प्रदेश के अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होंगे।
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