हिमाचल प्रदेश में महिला सम्मान निधि के लंबित आवेदनों को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर महिलाओं के कल्याण के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 10 लाख से अधिक आवेदन सरकारी दफ्तरों में धूल फांक रहे हैं।
अपने बयान में ठाकुर ने इस योजना को लागू करने में सरकार की असफलता पर सवाल उठाए। इस योजना के तहत 18 से 59 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रवैया महिलाओं के प्रति असम्मानजनक है।
“गारंटी या दिखावा?”
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री के उस दावे पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने योजना की गारंटी पूरी होने की बात कही थी। ठाकुर ने कहा, “अगर सरकार ने गारंटी पूरी कर दी है, तो ये आवेदन अभी तक लंबित क्यों हैं? चुनाव के समय महिलाओं से किए गए वादे अब केवल खोखले दावे बनकर रह गए हैं।”
उन्होंने सरकार पर बिना तैयारी और बजट प्रावधान के योजना की घोषणा करने का आरोप लगाया। इसके परिणामस्वरूप, चुनाव के दौरान 7 लाख आवेदन मिलने के बावजूद केवल 28,000 महिलाओं को निधि की पहली किस्त दी गई है।
“भ्रम फैलाने का आरोप”
जयराम ठाकुर ने योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ियों की ओर इशारा किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री द्वारा विधानसभा में किए गए खुलासे में बताया गया कि 2,810 लाभार्थी अपात्र पाए गए और उनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ठाकुर ने पूछा कि ये अपात्र लोग कौन हैं और इन्हें योजना का लाभ कैसे मिला।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार नए-नए नियम बनाकर योजना के लाभार्थियों की संख्या कम करने का प्रयास कर रही है।
“माफी की मांग”
सरकार के रवैये को “शर्मनाक” बताते हुए ठाकुर ने मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने सरकार से लंबित आवेदनों को जल्द से जल्द मंजूरी देने और पात्र महिलाओं को उनका हक देने की अपील की।
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