पालमपुर में आमतौर पर देश के लिए शहीद हुए महापुरुषों और वीर जवानों की प्रतिमाएं चौक-चौराहों पर स्थापित होती हैं, लेकिन वीरभूमि हिमाचल में कई ऐसे स्थान हैं जहां शहीदों को भगवान का दर्जा मिला है। यहां शहीदों की प्रतिमाएं सिर्फ चौक-चौराहों पर नहीं बल्कि मंदिरों में भी स्थापित हैं।
वीरता का अतुलनीय इतिहास मातृभूमि की रक्षा में हिमाचल के रणबांकुरों ने वीरता का अद्वितीय इतिहास रचा है। पहाड़ के युवाओं में देश सेवा का ऐसा जुनून है कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1,11,000 पूर्व सैनिक और लगभग 1,15,000 जवान सक्रिय रूप से सेना में सेवा दे रहे हैं। कुछ इलाकों में हर दूसरे घर से कोई न कोई सेना में है। हिमाचल के सैनिकों को जनसंख्या के हिसाब से सबसे अधिक वीरता सम्मान मिले हैं, और भारतीय सेना के हर दसवें वीरता पदक पर हिमाचली जवान का नाम होता है। ऑपरेशन विजय में शहीद हुए 527 जवानों में से 10% हिमाचल से थे। कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 वीर जवानों ने प्राणों की आहुति दी थी।
सेना के प्रति जुनून हिमाचल के युवाओं में सेना की हरी वर्दी पहनने का इतना जुनून है कि वे सुबह-सवेरे सड़कों पर दौड़ लगाते हैं ताकि सेना में भर्ती के लिए तैयार हो सकें। पूर्व सैनिकों द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण अकादमियों में युवा सेना भर्ती की तैयारियों में जुटे रहते हैं। हाल ही में घोषित अग्निवीर भर्ती के परिणाम में 40% युवा सफल हुए थे, जबकि 2020 में 3,105 युवाओं ने एक साथ सेना में भर्ती होकर रिकॉर्ड बनाया था।
हिमाचल के वीर हिमाचल के 4 बहादुर सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त 2 जवानों को अशोक चक्र और 10 को महावीर चक्र मिला है। राज्य के वीर जवानों को अब तक 1,150 से अधिक वीरता सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें कई कीर्ति चक्र भी शामिल हैं।
For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!
Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!