प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में यमुना नदी से जुड़े अवैध खनन मामले में अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है। यह शिकायत विशेष न्यायालय (पीएमएलए) गाजियाबाद में दायर की गई, जिसमें ज्ञान चंद सहित कुल आठ लोगों को नामजद किया गया है। अदालत ने 17 जनवरी को ईडी द्वारा दायर इस शिकायत का संज्ञान भी लिया है।
ईडी ने औपचारिक शिकायतों और खुफिया सूचनाओं के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया कि ज्ञान चंद और अन्य खनन माफिया ब्यास नदी के तल पर अवैध रूप से रेत और खनिजों का खनन कर रहे थे। इस अवैध खनन से सैकड़ों करोड़ रुपये की आपराधिक आय (पीओसी) अर्जित की गई। ईडी ने कांगड़ा और ऊना जिलों में दर्ज छह एफआईआर के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया।
दर्ज एफआईआर के अनुसार, ऊना और कांगड़ा जिलों में सरकारी भूमि पर अवैध खनन गतिविधियां चल रही थीं। टिप्पर, पोकलेन, जेसीबी और ट्रैक्टरों का उपयोग कर खनिज निकाले जा रहे थे, जिन्हें ओवरलोड वाहनों से स्टोन क्रशर तक पहुंचाया जा रहा था। इस दौरान, 1 नवंबर 2024 को सहारनपुर के बेहट पुलिस स्टेशन में भी एक एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आईपीसी-1860, सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम-1984 और खान एवं खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम-1957 (संशोधित) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद यूपी पुलिस की इस एफआईआर को भी जांच में शामिल किया गया।
ईडी ने जांच के आधार पर 18 नवंबर 2024 को ज्ञान चंद और उसके साथी संजय कुमार उर्फ संजय धीमान को गिरफ्तार किया था। इसके बाद, 3 मार्च को अवैध खनन से अर्जित लगभग 4.9 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की गई। जांच के दौरान, हिमाचल और सहारनपुर में ज्ञान चंद और अन्य आरोपियों के 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई और कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज व बयान दर्ज किए गए।
जांच में यह भी सामने आया कि अवैध खनन से अर्जित धनराशि का उपयोग अचल संपत्तियों और खनन मशीनरी जैसे टिप्पर, जेसीबी, ट्रक और स्टोन क्रशर की खरीद में किया गया। अब, ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत पर अदालत में सुनवाई शुरू हो गई है।
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