हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धर्मपुर उपमंडल के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव में सोमवार सुबह कुदरत का कहर देखने को मिला। भोर करीब 4 बजे गांव में जबरदस्त बारिश के साथ भूस्खलन हुआ, जिसमें गांव के लगभग डेढ़ दर्जन परिवारों के 10 मकान, गौशालाएं, 20 खच्चरें, 30 बकरियां, 8 भेड़ें और 5 भैंसें मलबे में दब गईं। इसके साथ ही 50 से अधिक लोगों के घरों का सारा सामान, गहने, कपड़े, फर्नीचर और बाइक भी पूरी तरह नष्ट हो गए। हालांकि इस भीषण आपदा में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, जिसका श्रेय गांव के एक बुजुर्ग की समझदारी और समय पर उठाए गए कदम को जाता है।

सुबह भारी बारिश और बिजली की कड़क के बीच गांव के बुजुर्ग धनदेव को एक बड़ी चट्टान के गिरने की तेज आवाज सुनाई दी। उन्होंने तुरंत खतरे को भांप लिया और बिना समय गंवाए सभी ग्रामीणों को नींद से जगाया। उन्होंने सभी को एक सुरक्षित पक्के मकान में इकट्ठा किया। जैसे ही ग्रामीण वहां पहुंचे, कुछ ही पलों में पूरा पहाड़ नीचे आ गिरा और उसने गांव के अधिकांश घरों और गौशालाओं को अपने मलबे में समा लिया। पलक झपकते ही पूरी बस्ती तबाह हो गई, लेकिन बुजुर्ग की सूझबूझ ने सभी की जान बचा ली।
ग्रामीण जैसे-तैसे सुरक्षित स्थान की ओर भागे और मंदिर व स्कूल के पास पहुंचकर शरण ली। इसके बाद पंचायत प्रधान, उपप्रधान और अन्य स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे। पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह को जैसे ही इस हादसे की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत एसडीएम और डीसी को सूचित किया। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसडीएम जोगिंदर पटियाल, तहसीलदार रमेश कुमार और एसएचओ धर्मपुर को मौके पर भेजा। अधिकारी कठिन रास्तों से पैदल चलकर घटनास्थल तक पहुंचे और प्रभावित परिवारों को दस-दस हजार रुपये की फौरी राहत राशि, तिरपाल और राशन सामग्री उपलब्ध करवाई।
स्थानीय पंचायत और ग्रामीणों की मदद से महिलाओं और बच्चों सहित प्रभावित परिवारों के रहने और खाने की अस्थायी व्यवस्था माता जालपा मंदिर स्याठी-त्रयामबला में की गई है। पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि यह इलाका पहले भी वर्ष 2014 में भूस्खलन का शिकार हो चुका है। तब से लेकर अब तक गांव के लोग प्रशासन से सुरक्षित स्थान की मांग करते आ रहे थे, क्योंकि यह बस्ती नाले के किनारे और स्लाइडिंग क्षेत्र में बसी थी। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि प्रशासन ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की, जिसका परिणाम आज पूरी बस्ती की तबाही के रूप में सामने आया है।
भूपेंद्र सिंह ने प्रशासन से मांग की है कि इन प्रभावित परिवारों को स्थायी रूप से बसाने के लिए सुरक्षित जमीन उपलब्ध करवाई जाए और मकानों, मवेशियों तथा संपत्ति के नुकसान का उचित आकलन कर जल्द से जल्द आर्थिक सहायता दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने प्रभावित परिवारों के लिए उचित और स्थायी ठहराव की व्यवस्था करने की अपील भी की है।
घटनास्थल पर जैसे ही सूचना फैली, वहां राजस्व, स्वास्थ्य, पुलिस और जलशक्ति विभाग के अधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, महिला मंडल, सज्याओपिपलु स्कूल के प्रधानाचार्य भोलादत्त, सुरेंद्र कश्यप, देशराज पालसरा, राकेश कुमार और सुरेंद्र कौंडल समेत सैकड़ों स्थानीय लोग पहुंच गए। सभी ने घटनास्थल का जायज़ा लिया और प्रभावित परिवारों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि समय पर चेतावनी और सामूहिक प्रयास से बड़ी त्रासदी को टालने की मिसाल भी पेश करती है। स्याठी गांव के लोगों के लिए यह एक अत्यंत कठिन समय है, लेकिन उनकी एकजुटता और बुजुर्ग की दूरदर्शिता ने उन्हें नया जीवन दिया है।
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