Himachal: हिमाचल में मानसून का कहर: 300 करोड़ का नुकसान, 17 लोगों की मौत, सरकार ने राहत कार्य तेज़ किए

हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश ने इस वर्ष भी भारी तबाही मचाई है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने जानकारी दी कि अब तक राज्य में वर्षा और प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इस दौरान 17 लोगों की जान जा चुकी है। ये जानकारी उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान साझा की। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह तक प्रदेश में 37 सड़कें बारिश और भूस्खलन के कारण बाधित थीं, जिससे आम जनता को आवागमन में कठिनाई हो रही है। इसके अतिरिक्त कई पेयजल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं, जिससे कई क्षेत्रों में जल संकट उत्पन्न हो गया है।

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राजस्व मंत्री ने यह भी बताया कि मनाली में ब्यास नदी के किनारे सुरक्षा दीवार (सेफ्टी वॉल) के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और अब इस पर काम तेज़ी से शुरू किया जाएगा। इसी के साथ प्रदेश सरकार राहत और बचाव कार्यों को भी गति दे रही है ताकि लोगों को जल्द राहत मिल सके।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शनिवार सुबह पैदल ही सचिवालय पहुंचे। रास्ते में उन्होंने स्कूली बच्चों और आम नागरिकों से बातचीत की। मुख्यमंत्री का यह पैदल चलना और शाम के समय शिमला शहर के विभिन्न इलाकों में घूमना उनकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।

मंत्रिमंडल बैठक में प्रदेश के चार विकास खंडों — बमसन, सुजानपुर टीहरा, हमीरपुर और भोरंज — के पुनर्गठन को मंजूरी दी गई है। इसके तहत संबंधित पंचायतों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे अपनी सुविधानुसार जिस विकास खंड में शामिल होना चाहें, उसमें शामिल हो सकें। इसके आधार पर नए विकास खंडों की संरचना तय की जाएगी।

इसके साथ ही संगड़ाह को नगर पंचायत का दर्जा देने और ददाहू में ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) कार्यालय खोलने को भी मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिली है। इसके अलावा, हमीरपुर नगर निगम से बौनी पंचायत को बाहर किया जाएगा और नगर परिषद रोहड़ू में कुछ नए क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा।

सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों — काजा, पांगी, भरमौर और किन्नौर — में ऑफलाइन टेंडर की सीमा को बढ़ाकर एक लाख से पांच लाख रुपये कर दिया है। इससे इन दुर्गम क्षेत्रों में छोटे विकास कार्यों को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी और उन्हें बार-बार टेंडर प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।

प्रदेश सरकार के इन फैसलों का उद्देश्य आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ बनाना और जनसेवा को अधिक प्रभावी बनाना है, ताकि जनता को राहत मिल सके और विकास कार्य बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकें।

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