प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी सामने आई है। शिक्षा विभाग में इस समय करीब 7000 पद रिक्त पड़े हैं। हालांकि राज्य चयन आयोग के माध्यम से प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (टीजीटी) के एक हजार से अधिक पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह प्रयास नाकाफी नजर आ रहा है।
राजकीय टीजीटी कला संघ के पदाधिकारियों के अनुसार 31 जुलाई 2025 तक शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य के करीब 900 पद खाली हैं। इसके अलावा मुख्याध्यापक के 75 पद, प्रवक्ता वर्ग के लगभग 2700 पद, टीजीटी कला के 510 पद, मेडिकल के 270 और नॉन-मेडिकल के 538 पद रिक्त हैं। इसी तरह भाषा अध्यापक के 31, कला अध्यापक के 339, शारीरिक शिक्षक के 870, शास्त्री के 737, उर्दू अध्यापक के 13 और पंजाबी भाषा अध्यापक के 17 पद भी खाली पड़े हैं। इन सभी को मिलाकर कुल रिक्त पदों की संख्या लगभग 7000 तक पहुंच चुकी है।
संघ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में करीब 6000 शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि मार्च 2026 तक लगभग 5000 और शिक्षकों के रिटायर होने का अनुमान है। इससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। इसके साथ ही पिछले दो वर्षों से प्रधानाचार्य पदोन्नति, जेबीटी और सी एंड वी से टीजीटी पदोन्नति की प्रक्रिया भी लंबित है। 749 टीजीटी को अभी तक प्रवक्ता पद पर पदोन्नति नहीं मिल पाई है।
शिक्षकों का कहना है कि टीजीटी कैडर में 1318 भर्तियां जारी हैं, लेकिन अप्रैल तक टीजीटी और प्रवक्ता के हजारों पद एक साथ खाली होने की आशंका है। इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी और अधिक बढ़ जाएगी, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ेगा। संघ ने सरकार से रिक्त पदों को शीघ्र भरने और लंबित पदोन्नतियों को जल्द पूरा करने की मांग की है।
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