बड़ा फैसला! अब 5वीं और 8वीं के छात्रों को फेल करने का प्रावधान – सरकार ने किए नियमों में बदलाव

केंद्र सरकार ने शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को संशोधित किया है। अब कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

इस नई नीति के तहत, जो छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होंगे, उन्हें दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वे इस परीक्षा में भी असफल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा।

पहले, शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ में कक्षा 8 तक के छात्रों को फेल नहीं किया जाता था। यह नीति छात्रों के सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE) पर आधारित थी। हालांकि, सरकार ने पाया कि इस नीति के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आने लगी और बोर्ड परीक्षाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

नई नीति के कारण

पिछली नीति की कुछ खामियों ने इस बदलाव को जरूरी बना दिया:

  1. शैक्षिक स्तर में गिरावट: छात्रों को फेल न करने की नीति के कारण उनकी बुनियादी समझ कमजोर हो गई।
  2. बोर्ड परीक्षाओं पर प्रभाव: 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों के परिणाम खराब होने लगे।
  3. जिम्मेदारी में कमी: शिक्षकों और अभिभावकों पर छात्रों की पढ़ाई को गंभीरता से लेने का दबाव कम हो गया।
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नई नीति के प्रावधान

  1. दूसरा अवसर:
    • वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को दो महीने के भीतर पूरक परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
    • अगर वे इसमें भी असफल रहते हैं, तो अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
  2. विशेष ध्यान:
    • असफल छात्रों को सुधार के लिए शिक्षकों द्वारा अतिरिक्त मदद मिलेगी।
    • समय-समय पर अभिभावकों को मार्गदर्शन दिया जाएगा।
  3. बेहतर मूल्यांकन:
    • छात्रों की कमजोरियों की पहचान के लिए व्यापक मूल्यांकन पद्धति अपनाई जाएगी।

नीति में बदलाव का प्रभाव

  • छात्रों पर:
    छात्र अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लेंगे और प्रत्येक कक्षा में मूलभूत कौशल को बेहतर बनाने पर ध्यान देंगे।
  • शिक्षकों पर:
    शिक्षकों को छात्रों को व्यक्तिगत स्तर पर मदद करनी होगी और शिक्षण पद्धतियों को सुधारना होगा।
  • अभिभावकों पर:
    अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ मिलकर उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा।

निष्कर्ष

कक्षा 5 और कक्षा 8 में परीक्षा और फेल होने की संभावना की वापसी भारत में शिक्षा सुधार का एक अहम कदम है। इससे शिक्षा में जिम्मेदारी और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। यह बदलाव छात्रों को एक मजबूत शैक्षणिक नींव प्रदान करेगा और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बेहतर तैयार करेगा।

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