उपयुक्त प्रौद्योगिकी केन्द्र (एटीसी) शाहपुर नवीन तकनीक और नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है। हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद के तहत 2016 में स्थापित एटीसी शाहपुर शुरुआती दौर में स्टाफ और आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण पूरी तरह से काम नहीं कर सका। लेकिन दिसम्बर 2022 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में नई सरकार के आने के बाद, स्थानीय विधायक एवं उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया के प्रयासों से इस केंद्र ने नई ऊंचाइयां हासिल कीं।
सरकार ने स्वीकृत सात पदों में से छह पद भरकर केंद्र को स्टाफ और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए। एटीसी शाहपुर अब आधुनिक सुविधाओं के साथ काम कर रहा है, जिसमें कॉन्फ्रेंस हॉल भी शामिल है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य विज्ञान की नई तकनीकों को आम जनता तक पहुंचाकर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। वर्तमान में एटीसी शाहपुर काँगड़ा, चंबा, हमीरपुर, और ऊना जिलों के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
एटीसी शाहपुर में प्रशिक्षण और नवाचार
एटीसी शाहपुर की प्रमुख सुनन्दा पठानिया बताती हैं कि यहाँ आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। चार जिलों के करीब 150 मिस्त्रियों को वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट का प्रशिक्षण दिया गया है और 10 मास्टर ट्रेनर भी बनाए गए हैं। इसके अलावा 50 मिस्त्रियों को भूकंपरोधी निर्माण तकनीक की भी जानकारी दी गई है।
महिलाओं को भी यहां लाभ मिल रहा है। 50 महिलाओं को पानी से चलने वाले एलईडी लैंप बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। हाल ही में चीड़ की पत्तियों से उत्पाद बनाने पर पांच दिवसीय शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें काँगड़ा और हमीरपुर जिलों की 21 महिलाओं ने भाग लिया। इसके अलावा पत्तल और दोना निर्माण की परियोजना भी चल रही है, जिसमें मशीनों के साथ प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।
नए मॉडल का प्रदर्शन
केंद्र में कई मॉडल प्रदर्शित किए गए हैं, जैसे ग्रीनहाउस, सोलर ड्रायर और लो कॉस्ट वाटर फिल्टर, जिन्हें देखकर लोग अपने घरों में लागू कर सकते हैं। एटीसी शाहपुर का उद्देश्य है कि आईएचबीटी की नई तकनीकों को आम जनता तक पहुंचाया जाए ताकि वे उनका अधिक से अधिक उपयोग कर सकें।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
सुनन्दा पठानिया का मानना है कि आने वाले समय में एटीसी शाहपुर विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आमजन तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा। केंद्र द्वारा स्कूलों में विज्ञान गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं। यह केंद्र धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।