शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उद्यान विभाग के एक परियोजना के तहत कार्यरत लगभग 900 कर्मचारियों को हटाने पर लगी रोक को बरकरार रखा है। यह सभी कर्मचारी पिछले आठ वर्षों से विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित उद्यान विकास परियोजना में कार्यरत थे, और अब परियोजना के समाप्त होने के कारण उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है।
न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान विभाग से यह सवाल किया कि जो कर्मचारी पिछले 8 वर्षों से कार्य कर रहे हैं, वे अब कहाँ जाएंगे। अदालत ने राज्य सरकार से इस विषय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को रखी गई है।
विभाग की ओर से अदालत को सूचित किया गया कि इन कर्मचारियों का अनुबंध 31 अक्तूबर को समाप्त हो गया है, जिससे उनके पास कानूनी अधिकार नहीं बचता है कि वे अपने पदों पर बने रहें। इसके साथ ही, विभाग ने नई भर्तियों की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जिससे यह विवाद और गहरा गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को अवगत कराया कि इनमें से कई कर्मचारियों की नियुक्ति 2016 के बाद हुई है और उन्होंने करीब 8 वर्षों तक सेवा प्रदान की है। इस परियोजना के तहत विभाग के पास बिना खर्च हुए 40 करोड़ रुपये की राशि भी मौजूद है, जिससे यह सवाल उठता है कि वित्तीय अभाव के कारण कर्मचारियों को हटाने की आवश्यकता क्यों है।
इस मामले में न्यायालय का निर्णय न केवल इन कर्मचारियों बल्कि राज्य के अन्य परियोजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। अदालत के निर्णय का इंतजार पूरे राज्य में किया जा रहा है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि इसका समाधान कर्मचारियों के रोजगार की स्थिरता और परियोजना के उद्देश्यों के बीच संतुलन स्थापित करेगा।
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