प्रशासन को मुख्यमंत्री के समोसे की चिंता: रविंद्र धीमान का तीखा बयान

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जयसिंहपुर के पूर्व विधायक रविंद्र धीमान ने राज्य प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य प्रशासन को प्रदेश की जनता की समस्याओं के बजाय मुख्यमंत्री के लिए लाए गए समोसे की चिंता सता रही है। रविंद्र धीमान के अनुसार, यह घटना यह दिखाती है कि सरकार और प्रशासन को हिमाचल प्रदेश की जनता की चिंता नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री के खान-पान की ज्यादा चिंता है।

प्रेस को जारी एक बयान में रविंद्र धीमान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए लाए गए समोसे से जुड़ी एक हालिया घटना ने विवाद को जन्म दिया है। यह समोसा गलती से मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मचारियों के पास पहुंच गया था। इस घटना को लेकर सीआईडी (क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) जांच शुरू की गई, जिस पर रविंद्र धीमान ने कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे सरकार विरोधी कृत्य करार देने पर सवाल उठाया और इसे पूरी तरह से बेवजह बताया।

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रविंद्र धीमान का भ्रष्टाचार पर जोर

रविंद्र धीमान ने कहा कि यदि सरकार सीआईडी जांच करवाने में इतनी रुचि रखती है, तो राज्य में और विशेष रूप से जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे विभिन्न विभागों के घोटालों और भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच करवाना ज्यादा उपयुक्त होता। उनके अनुसार, राज्य सरकार ने इन मुद्दों को नजरअंदाज किया है, जबकि यह जांचें केवल असल समस्याओं से ध्यान भटकाने के रूप में सामने आ रही हैं।

भ्रष्टाचार और सरकारी घोटालों की बढ़ती चिंता

रविंद्र धीमान का यह बयान उस समय आया है जब हिमाचल प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर चिंता बढ़ रही है। राज्य में भ्रष्टाचार के आरोप अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन सरकार द्वारा इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

रविंद्र धीमान ने यह भी कहा कि यदि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को वास्तव में राज्य की भलाई की चिंता है, तो उन्हें इन घोटालों की जांच करवानी चाहिए और सरकार के प्रशासनिक ढांचे को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

पारदर्शिता और जिम्मेदारी की बढ़ती मांग

राज्य में चुनावों से पहले और जनता की बढ़ती नाराजगी के बीच पारदर्शिता और जिम्मेदारी की मांग तेज हो गई है। हिमाचल प्रदेश के लोग चाहते हैं कि सरकार उनकी वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे, बजाय इसके कि वह छोटी-छोटी बातों को लेकर विवादों में उलझे।

रविंद्र धीमान की आलोचना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर नई बहस शुरू कर सकती है। लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या प्रशासन इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाएगा या फिर विवादों में उलझा रहेगा।

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