Shimla: मंडी रैली से ठप हुई बस सेवा: शिमला से लेकर लॉन्ग रूटों तक यात्रियों की फजीहत, 1000 से ज्यादा बसें हुईं गायब

मंडी में आयोजित सरकार की रैली और तीन वर्षों के जश्न का असर पूरे हिमाचल में आम लोगों ने महसूस किया। रैली के लिए प्रदेशभर से एक हजार से अधिक बसों को भेजा गया, जिसके कारण शिमला शहर, ग्रामीण इलाकों और विभिन्न जिलों में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक दिक्कत ग्रामीण रूटों और लंबी दूरी की बस सेवाओं पर देखने को मिली।

शिमला जिला से कुल 51 बसें रैली के लिए भेजी गई थीं। इसका सीधा असर शिमला में रोजमर्रा की बस सेवाओं पर पड़ा। शिमला ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों के अनुसार कुनिहार-शिमला, नेरी, बलैण-शिमला, सतडोल-शिमला, ममलीग और घनाहट्टी जैसे कई रूटों पर बसें उपलब्ध ही नहीं थीं। मजबूरन यात्रियों को निजी बसों में भारी भीड़ के बीच सफर करना पड़ा।

लॉन्ग रूटों पर भी स्थिति यही रही। सुबह के समय शिमला-ऊना, बैजनाथ, धर्मशाला, चढियार, नालागढ़ और तत्तापानी जैसी कई बसें अपने रूटों पर पहुंची ही नहीं। ये बसें पहले ही रैली के लिए शिमला भेज दी गई थीं, जिसकी वजह से गुरुवार सुबह यात्री बस स्टैंड पर कई घंटे इंतजार करते रहे।

धर्मशाला जाने वाले एक यात्री ने बताया कि वह सुबह से बस का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई सरकारी बस उपलब्ध नहीं थी। टुटू चौक के दुकानदार सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि यदि इतनी बड़ी संख्या में बसें रैली में भेजनी थीं, तो निगम को वैकल्पिक व्यवस्था पहले से करनी चाहिए थी।

यात्रियों ने आरोप लगाया कि रैली को प्राथमिकता दी गई, जबकि आम जनता की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया। दोपहर बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई और शिमला ग्रामीण मार्गों पर बसों का इंतजार बढ़ता गया। पुराने बस स्टैंड पर लोगों को बताया गया कि कई बसों को क्लब कर एक साथ चलाया जा रहा है, इस कारण देरी हो रही है। शाम को सरकारी स्कूल के छात्रों को भी घर लौटने में दिक्कतें आईं।

उधर, एचआरटीसी अधिकारियों ने दावा किया कि शिमला शहर में बसों की कोई कमी नहीं हुई। उनका कहना है कि जिन ग्रामीण रूटों पर बसों की कमी आई थी, वहां बसों को क्लब कर भेजा गया और यात्रियों को सुविधा देने की कोशिश की गई।

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