हिमाचल प्रदेश में 529 भालू और 510 तेंदुए पाए गए हैं। यह जानकारी जैव सर्वेक्षण विभाग (ZSI) द्वारा की गई प्रारंभिक स्टडी में सामने आई। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 1 से अधिक भालू और 2 तेंदुए मौजूद हैं। यह जानकारी ZSI के वैज्ञानिक डॉ. भीम दत्त जोशी ने वन मुख्यालय में वन्यजीव सप्ताह के दौरान आयोजित एक संगोष्ठी में दी। उन्होंने बताया कि लाहौल घाटी में वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच टकराव की घटनाएं अधिक हो रही हैं, क्योंकि यहां जंगलों के पास खेती की जाती है। अब तक हिमाचल प्रदेश में 12,703 टकराव की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
ZSI ने 2022 से हिमाचल में वन्यजीवों पर अध्ययन करना शुरू किया है और 1,942 वन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। इसके तहत करीब 2,000 सैंपल लिए गए और डीएनए जांच के बाद भालू और तेंदुओं की संख्या का अनुमान लगाया गया। अध्ययन में शिमला और किन्नौर जिलों में सबसे ज्यादा काले भालू और सोलन, सिरमौर, मंडी और बिलासपुर में तेंदुओं की संख्या अधिक पाई गई है। चम्बा में भालूओं की संख्या को लेकर नया अध्ययन भी किया जाएगा।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डॉ. वसीम अकरम और नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन की दीप्ति बजाज ने भी इस संगोष्ठी में वन्यजीव संरक्षण पर अपनी प्रस्तुति दी।
शिमला से गायब हो रहीं वनस्पतियां
एचएफआरआई के वैज्ञानिक विनीत जिष्टु ने बताया कि पिछले 120 सालों में शिमला की 30% जमीनी वनस्पतियां गायब हो चुकी हैं। इसके पीछे अंग्रेजों द्वारा शिमला में लाए गए विदेशी पौधों का जंगलों पर कब्जा करना मुख्य कारण है। कुछ विदेशी पौधों ने स्थानीय वनस्पतियों को खत्म कर दिया है, जैसे बिडेन्स पिलोसा और क्रॉफ्टन वीड। एसीएस केके पंथ और पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ अमिताभ गौतम ने वन क्षेत्रों में अधिक फलदार पौधे लगाने की जरूरत पर जोर दिया।
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