धर्मशाला, 25 अक्तूबर: उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि भारत सरकार के विशेष तकनीकी दल ने प्राकृतिक जल स्रोत संगणना के मोबाइल ऐप और पोर्टल की पायलट टेस्टिंग की। यह परीक्षण फतेहपुर के रियाली गाँव और कोटला के अनूही खास में शाहनहर और मध्यम सिंचाई योजना सिद्वाता पर किया गया। इससे पहले यह परीक्षण धर्मशाला के भागसूनाग (झरना), धर्मकोट (डल झील), और जूल (कुहल) में किया गया था। परीक्षण में जल निकाय, भूजल, सतही जल और स्प्रिंग स्रोतों की गणना शामिल रही। जल शक्ति मंत्रालय ने प्राकृतिक जल स्रोतों की पायलट टेस्टिंग के लिए पूरे भारत में से हिमाचल प्रदेश सहित केवल चार राज्यों का चयन किया है।
जल संसाधनों के संरक्षण में मिलेगी मदद
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि इस पायलट टेस्टिंग का मुख्य उद्देश्य लघु सिंचाई, जल निकाय, वृहद और मध्यम सिंचाई योजना और प्राकृतिक जल स्रोत की गणना करते हुए उनकी वर्तमान स्थिति का आंकलन करना है, जिससे स्थानीय जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार लाया जा सके। तकनीकी दल द्वारा दिए गए सुझावों और त्रुटियों के समाधान से इन योजनाओं की सफलता की संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। इस प्रक्रिया से न केवल जल संसाधनों का संरक्षण होगा बल्कि स्थानीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित
परीक्षण के दौरान, तकनीकी दल ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए और त्रुटियों का विश्लेषण करते हुए सुधार के उपाय सुझाए। ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित कर योजनाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन भी किया गया। इस सात सदस्यीय दल में मुख्य अधिकारी अजय बक्शी, अतिरिक्त महानिदेशक; प्रियंका कुलश्रेष्ठ, उप महानिदेशक, जल शक्ति मंत्रालय; अंशिका भटनागर, उप निदेशक, जल शक्ति मंत्रालय; और अश्वनी शुक्ला, सचिव, केंद्रीय जल आयोग शामिल थे। राज्य भूजल निदेशालय शिमला, जिला अधिकारी और संबंधित विभागों के कर्मचारी भी इस प्रक्रिया में शामिल रहे।
कांगड़ा जिला से जिला राजस्व अधिकारी राकेश कुमार और जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता सुमित विमल कटोच ने भी इस परीक्षण में भाग लिया।
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