हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के न्यूगल नदी में रविवार को हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया। सोमवार को जब पोस्टमार्टम के बाद तीनों शव मैले गांव पहुंचे, तो गांव की फिजा मातम में बदल गई। ओमप्रकाश और उनके दो पोतों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। गांव के श्मशान घाट पर एक साथ तीन चिताएं जलीं, जिसे देख सैकड़ों लोग स्तब्ध रह गए। हजारों की संख्या में लोग अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। जैसे ही शव गांव पहुंचे, ओमप्रकाश के घर में चीख-पुकार मच गई। गांव में गम का ऐसा माहौल बन गया जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था।
अंतिम रस्मों की शुरुआत दादा की अर्थी से हुई, जिसके बाद मासूम पोतों के शवों को परिजन गोद में उठाकर श्मशान घाट लेकर गए। तीनों की चिताएं एक साथ जलती रहीं और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दादी बीना देवी बार-बार यही कहती रहीं कि उनका पूरा परिवार उजड़ गया है। बच्चों की मां बिनता देवी और चाची पूजा दोनों बेसुध हैं। पूजा, जो खुद मां नहीं बन पाई हैं, बच्चों से बेहद स्नेह करती थीं और हादसे के बाद से कुछ खा-पाई भी नहीं हैं।
ओमप्रकाश खेतीबाड़ी से जुड़ा जीवन जीते थे। उनके बेटे नवीन और सवीन में से नवीन पंचायत के वार्ड मैंबर हैं और पोल्ट्री फार्म चलाते हैं, जबकि सवीन डीजे का काम करते हैं। सवीन ने बताया कि उनका परिवार पहले से ही आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहा था और अब यह हादसा जिंदगी भर का घाव दे गया है।
हादसे के समय एक और नाम सामने आया, जिसने सबका ध्यान खींचा — 72 वर्षीय पूर्व फौजी सूबेदार केहर सिंह। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना 40 फुट गहरे पानी में उतरकर बच्चों के शव बाहर निकाले। उन्होंने बताया कि पानी बहुत गहरा था और एक बच्चा दूर से किसी खिलौने की तरह दिखाई दे रहा था। केहर सिंह ने बताया कि उन्हें भी कुछ देर के लिए लगा कि वे शायद बाहर नहीं निकल पाएंगे। पानी से बाहर आने के बाद वह करीब पांच मिनट तक बेहोश रहे। बचपन से तैराकी में रुचि रखने वाले केहर सिंह 1974 में फौज में भर्ती हुए थे और 2000 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने बताया कि पहले भी 1995 में ऐसे ही एक हादसे में उन्होंने एक व्यक्ति को पत्थरों के नीचे से बचाया था। उनका मानना है कि युवाओं को तैरना जरूर आना चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि आपात स्थिति में जान बचाने वाला कौशल भी है।
वहीं, एसडीएम धीरा सलीम आजम ने जानकारी दी कि मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से ₹4 लाख प्रति व्यक्ति की सहायता राशि दी जाएगी। ₹25,000 की फौरी मदद पहले ही दी जा चुकी है और शेष ₹3.75 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पटवारी व तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर जारी की जाएगी।
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