तिरुपति मंदिर लड्डू में मिलावट का आरोप: पशु वसा और मछली के तेल की शिकायत सुप्रीम कोर्ट पहुंची

तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में पशु वसा और मछली के तेल की मिलावट को लेकर विवाद गहरा गया है। वकील सत्याम सिंह ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें इस मिलावट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह हिंदू धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन है और लाखों भक्तों की भावनाओं को आहत करता है, जो इस प्रसाद को पवित्र मानते हैं।

इस याचिका में कहा गया है कि यह मिलावट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करती है, जो धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के कई फैसलों का भी हवाला दिया गया है, जिनमें धार्मिक परंपराओं की रक्षा का समर्थन किया गया है। मंदिर प्रशासन द्वारा प्रसाद तैयार करने में धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन पर भी सवाल उठाए गए हैं।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार ने प्रसाद में पशु वसा मिलाने की अनुमति दी थी। स्थिति तब गंभीर हो गई जब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा किए गए घी के नमूनों में पशु वसा और मछली के तेल की पुष्टि होने की रिपोर्ट आई।

इन आरोपों के बाद राजनीतिक बहस शुरू हो गई। वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया। रेड्डी ने नायडू पर धर्म का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि इस तरह के आरोप करोड़ों भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। वहीं, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने हाईकोर्ट से इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की है। मामले की सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

इस विवाद में एक और मोड़ तब आया जब कांग्रेस नेता व जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला ने सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले की विस्तृत जांच की अपील की है। केंद्र सरकार ने पहले ही आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

मंदिर प्रशासन ने लड्डू तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए चार सदस्यीय विशेष समिति बनाई है। हालांकि, 17 जुलाई को लैब की रिपोर्ट प्राप्त हो गई थी, लेकिन अभी तक रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट में न तो टेस्टिंग संस्थान का नाम है और न ही नमूने का स्रोत।

विवाद जारी है और भक्तों और राजनीतिक नेताओं को इस मामले में स्पष्टता का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला और संभावित जांच के निष्कर्ष इस मुद्दे को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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