छात्रा से आतंकी तक: तानिया परवीन और लश्कर-ए-तैयबा के खतरनाक रिश्तों का NIA ने किया खुलासा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पश्चिम बंगाल की एक छात्रा तानिया परवीन को लेकर बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। 22 वर्षीय तानिया परवीन, जो कोलकाता के मौलाना आजाद कॉलेज में अरबी भाषा में एमए की छात्रा थी, अब देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानी जा रही है। साल 2020 में उसकी गिरफ्तारी के बाद जो बातें सामने आईं, वे एक आम छात्रा के पीछे छिपे आतंकी नेटवर्क को उजागर करती हैं। NIA की जांच में सामने आया कि तानिया सिर्फ एक छात्रा नहीं, बल्कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की सक्रिय सदस्य थी।

NIA द्वारा दायर की गई 850 पन्नों की चार्जशीट में बताया गया है कि तानिया को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर-ए-तैयबा की ओर से खास ट्रेनिंग दी गई थी। उसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जिहादी विचारधारा फैलाने, युवाओं को आतंक की राह पर ले जाने और भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों को ‘हनी ट्रैप’ में फंसाकर खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए तैयार किया गया था। वह सोशल मीडिया पर फर्जी नामों से प्रोफाइल बनाकर काम करती थी और 70 से अधिक जिहादी ग्रुप्स की सदस्य थी।

सबसे खतरनाक तथ्य यह है कि तानिया भारतीय सेना के जवानों को ऑनलाइन हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही थी। वह फर्जी प्रोफाइल बनाकर जवानों से दोस्ती करती, फिर भावनात्मक संबंध बनाकर उनसे संवेदनशील जानकारी निकालने की कोशिश करती थी। यह सब एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था, जिसे पाकिस्तान की एजेंसियों ने डिजिटल युद्ध के रूप में विकसित किया था।

जांच में यह भी सामने आया कि तानिया सिर्फ जासूसी तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क को फैलाने के मिशन पर काम कर रही थी। उसने कई युवाओं से संपर्क कर उन्हें आतंकी संगठन से जोड़ने का प्रयास किया।

सबसे सनसनीखेज जानकारी यह है कि तानिया का जुड़ाव पाकिस्तानी एयरफोर्स से भी रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, उसने कमांडो स्तर की ट्रेनिंग भी प्राप्त की थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह केवल विचारधारा से जुड़ी नहीं थी, बल्कि एक प्रशिक्षित एजेंट के रूप में काम कर रही थी।

NIA की चार्जशीट में उसके सोशल मीडिया चैट, फर्जी पहचान, पाकिस्तानी आकाओं से बातचीत और युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ने के प्रयासों के ठोस सबूत शामिल हैं। तानिया परवीन का मामला इस बात का प्रमाण है कि अब आतंकवाद सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, बल्कि इंटरनेट के माध्यम से घर-घर तक पहुंच चुका है।

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