एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में, सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने ‘सोलनम् सुन्दरम्’ गीत को विधिवत समर्पित किया। यह गीत संस्कृत में रचित है और हिमाचली लोक धुन पर आधारित है। इसे प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान डॉ. केशव राम शर्मा ने रचा है और लोकप्रिय गायक डॉ. के.एल. सहगल ने इसे स्वरबद्ध किया है। यह सोलन का पहला संस्कृत गीत है, जो प्रदेश के सांस्कृतिक धरोहर को एक नया रूप देता है।
यह कार्यक्रम सोलन में आयोजित किया गया, जहाँ इस गीत को समारोहपूर्वक प्रस्तुत किया गया, जो श्रोताओं को संस्कृत के प्राचीन गीतों और हिमाचली लोक संगीत के बीच की सुंदरता का अनुभव कराता है।
हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान
मनमोहन शर्मा ने इस गीत को समर्पित करते हुए संस्कृत और हिमाचली लोक संगीत के संगम को सराहा। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, और हिमाचली धुनों पर रचित संस्कृत गीत एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव है। शर्मा ने यह भी कहा कि यह अवसर विशेष है क्योंकि इसमें दो महान हस्तियों—डॉ. केशव राम शर्मा, जो संस्कृत के महान विद्वान हैं, और डॉ. के.एल. सहगल, जो हिमाचली लोक गीतों को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने वाले गायक हैं, ने मिलकर इस गीत को जीवन दिया है।
शर्मा ने आगे कहा कि डॉ. केशव राम शर्मा और डॉ. के.एल. सहगल जैसी महान विभूतियाँ समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इन विभूतियों ने अपनी मेहनत और अनुशासन से युवाओं को प्रेरित किया है कि वे अपने कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें और समाज की भलाई के लिए कार्य करें।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
‘सोलनम् सुन्दरम्’ गीत हिमाचली लोक धुन पर आधारित है, जो एक नृत्यात्मक गीत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस गीत में संस्कृत के प्राचीन रूप को आधुनिक संगीत के साथ जोड़ा गया है, जो सोलन की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करता है। डॉ. केशव राम शर्मा, जिन्होंने गीत के बोल रचे हैं, ने बताया कि इस गीत में छह छंद हैं, जो सोलन के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य सृजन के लिए एक गहरे मर्मज्ञ दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और संगीत समाज निर्माण और विश्व बंधुत्व की भावना को जागृत करने में अहम भूमिका निभाता है।
डॉ. के.एल. सहगल, जिन्होंने इस गीत की धुन तैयार की और इसे स्वरबद्ध किया, ने कहा कि यह गीत हिमाचली लोक धुनों पर आधारित है और यह संस्कृत को आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में सहायक होगा। उन्होंने गीत के फिल्मांकन के लिए ब्रिज कला केन्द्र के प्रबंध निदेशक कैशाल चांदणा का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इसके फिल्मांकन को संभव बनाया।
हिमाचली संस्कृति और संस्कृत का संगम
इस कार्यक्रम में कई सम्मानित व्यक्तित्व भी उपस्थित थे, जिनमें सोलन नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष राकेश पंत, साहित्यकार एस.सी. गौड़, डॉ. पी.एल. गौतम, और डॉ. शंकर वशिष्ठ प्रमुख थे। उनके इस आयोजन में उपस्थित होने से इस अवसर की अहमियत और बढ़ गई।
मनमोहन शर्मा ने अपने समापन भाषण में कहा कि वह आशा करते हैं कि यह प्रयास न केवल स्थानीय कलाकारों को प्रेरित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को भी अपनी संस्कृति और भाषा के प्रति अधिक जागरूक करेगा। उन्होंने कहा कि यह गीत संस्कृत प्रेमियोंऔर हिमाचल के लोक गीतों के लिए एक यादगार अनुभव होगा, जो आने वाली पीढ़ी को संस्कृत के प्रति अपना रुझान बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।
संस्कृत का भविष्य हिमाचल प्रदेश में
यह ऐतिहासिक कार्यक्रम, ‘सोलनम् सुन्दरम्’ का समर्पण, न केवल संस्कृत के महत्व को उजागर करता है, बल्कि यह हमें हमारे क्षेत्रीय धरोहरको संरक्षित करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिमाचल प्रदेश का यह पहला संस्कृत गीत अब एक प्रतीक बन गया है, जो राज्य की सांस्कृतिक पहचान को दुनिया के सामने लाएगा। इस गीत के माध्यम से हिमाचली लोक गीत और संस्कृत का मेल एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा, जो आने वाली पीढ़ियों को अपने सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
यह गीत न केवल सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करता है, बल्कि यह समाज निर्माण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम आशा करते हैं कि इस तरह की पहलें संस्कृत और लोक संगीत के महत्व को प्रोत्साहित करेंगी और आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़े रखेंगी।
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