शाहपुर: हिमाचल प्रदेश निरंतर विकास की राह पर अग्रसर है और सभी वर्गों की भलाई के लिए योजनाएँ बना रहा है। इसी दिशा में राज्य के उपमुख्य सचेतक और शाहपुर के विधायक केवल पठानिया ने रैत के कांग्रेस कार्यालय में जनसभा को संबोधित करते हुए घोषणा की कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के तहत 6,000 निराश्रित बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया है।
इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन गया है जिसने अनाथ बच्चों की भलाई के लिए अलग से क़ानून बनाया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 27 वर्ष की आयु तक इन बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, जिससे इन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जीवन यापन के लिए आवश्यक सहायता मिल सके।
रैत में आयोजित इस कार्यक्रम में पठानिया ने राज्य की योजनाओं को अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुँचाने की अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। उन्होंने गरीब परिवारों की बीमारी के इलाज और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी हेतु 3,10,200 रुपये के चेक भी वितरित किए।
इस मौके पर पठानिया ने लोगों की समस्याएँ भी सुनीं और अधिकांश का मौके पर ही समाधान कर दिया, जबकि अन्य मामलों को संबंधित विभागों के पास त्वरित कार्रवाई के लिए भेजा।
मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना ही नहीं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए एक सुरक्षित और सशक्त भविष्य का निर्माण करना है। यह योजना हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें समग्र विकास और सामाजिक उत्थान पर जोर दिया गया है।
रैत में आयोजित इस कार्यक्रम ने हिमाचल प्रदेश की विकास की प्रतिबद्धता को उजागर किया और कमजोर वर्गों की बेहतरी के लिए राज्य की समर्पण भावना को दर्शाया।
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