तपोवन में विधानसभा सत्र के दौरान कर्मचारियों ने उठाई मांगें
हिमाचल प्रदेश के तपोवन में चल रहे शीतकालीन विधानसभा सत्र के तीसरे दिन विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने नियमितीकरण, पूर्णकालिक वेतन, और बेहतर कार्य नीतियों की मांग की।
मल्टी टास्क वर्करों की दैनिक वेतनभोगी का दर्जा पाने की मांग
लगभग 8,000 पार्ट-टाइम मल्टी टास्क वर्करों ने जोरावर मैदान में प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इन वर्करों ने कहा कि वे सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक कार्य करते हैं, लेकिन उन्हें केवल 10 महीने का वेतन ₹5,625 मासिक मिलता है। उन्होंने 12 महीने का वेतन और आगामी बजट में नियमितीकरण की मांग की।
आंतरिक समुदाय संसाधन महिलाओं की मांग
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत कार्यरत महिलाओं ने नियमित रोजगार की मांग की। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने समूह और क्लस्टर का गठन किया है, लेकिन अभी तक उन्हें नियमित कार्य नहीं मिला है।
108 पीसमील वर्करों की अनुबंध की मांग
एचआरटीसी कार्यशालाओं में तैनात 108 पीसमील वर्करों ने अनुबंध रोजगार की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि कई कर्मियों ने 9 साल से अधिक कार्यकाल पूरा कर लिया है लेकिन अभी तक उन्हें अनुबंध पर नहीं लिया गया है।

सिलाई अध्यापिकाओं की मांग
पंचायती राज विभाग में 27 साल से काम कर रहीं सिलाई अध्यापिकाओं ने पंचायत सचिव पद का दर्जा और नियमितीकरण की मांग की।
जल शक्ति विभाग के पैरा वर्करों की मांग
पैरा वर्करों ने नियमितीकरण की अवधि को 8 साल से घटाकर 5 साल करने की मांग की। उन्होंने छुट्टियों और उचित वेतनमान की भी मांग उठाई।
गद्दी यूनियन की मांग
हिमालयन गद्दी यूनियन ने वंचित जातियों के साथ राजस्व रिकॉर्ड में “गद्दी” शब्द जोड़ने की मांग की।
निजी बस ऑपरेटरों की समस्या
निजी बस ऑपरेटरों ने बसों की सिटिंग क्षमता कम करने की मांग सरकार के सामने रखी।
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