शिरगुल तपोस्थली चूडधार में ढाबा चलाने वाले बारू राम मांटा अपने खोए हुए घोड़े की तलाश के लिए समुदाय से मदद की गुहार लगा रहे हैं। हाल ही में उनका घोड़ा चूडधार की काला बाग नामक जगह से खो गया है, जो कि इस पहाड़ी क्षेत्र का एक प्रसिद्ध स्थान है। उनका घोड़ा न केवल उनका सहायक था, बल्कि उनकी आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी था, जो उन्हें कठिन पहाड़ी रास्तों पर सामान लाने-ले जाने में मदद करता था। अब उन्होंने इस घोड़े को ढूंढने में मदद करने वालों के लिए एक इनाम की घोषणा की है।
मुख्य कहानी:
हिमाचल प्रदेश में स्थित चूडधार पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, जो अपनी मनोरम दृश्यावली और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले कई यात्री स्थानीय लोगों पर निर्भर रहते हैं, जो उन्हें रास्ता दिखाने और ठहरने का इंतजाम करते हैं। बारू राम मांटा का छोटा ढाबा इस पहाड़ी क्षेत्र में यात्रियों के लिए एक राहत स्थल की तरह काम करता है।
हालांकि, कुछ दिनों पहले बारू का अनमोल साथी—उनका घोड़ा—काला बाग क्षेत्र से गायब हो गया। इस घोड़े का बारू की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि यह उसे आवश्यक सामान ले जाने में मदद करता है। बारू ने आस-पास के जंगलों और पहाड़ी रास्तों में बहुत खोजबीन की, लेकिन अब तक वह अपने साथी को ढूंढ नहीं पाए हैं।
चूंकि यह क्षेत्र काफी बड़ा है और अकेले घोड़े को ढूंढना मुश्किल हो रहा है, बारू ने सार्वजनिक अपील की है और घोषणा की है कि जो कोई भी उनके घोड़े को ढूंढने में मदद करेगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा। वह सभी पर्यटकों और स्थानीय निवासियों से निवेदन कर रहे हैं कि अगर किसी को उनका घोड़ा दिखे तो तुरंत सूचना दें।
इनाम और संपर्क जानकारी:
बारू राम मांटा ने अपने खोए हुए घोड़े की सूचना देने वालों के लिए इनाम की घोषणा की है। उनका मानना है कि समुदाय के सहयोग से वह अपने खोए हुए साथी से पुनः मिल सकेंगे। अगर किसी के पास घोड़े के बारे में कोई जानकारी हो, तो कृपया निम्नलिखित नंबर्स पर संपर्क करें:
- 7807500834
- 9816731232
चूडधार का अनोखा महत्व:
चूडधार हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन में एक विशेष स्थान रखता है। यह शिखर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में सबसे ऊंचा है, और यहां स्थित शिरगुल महाराज का मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो सालभर श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। बारू जैसे लोगों के लिए यह स्थान केवल एक कार्यस्थल नहीं, बल्कि एक श्रद्धा स्थल है। बारू ने लंबे समय से यहां आने वाले यात्रियों की सेवा की है, और समुदाय की मदद से उनका घोड़ा मिल सके तो यह उनके लिए एक बड़ा सहयोग होगा।
जनता से अपील:
जो भी लोग चूडधार की यात्रा पर जा रहे हैं या वहां जाने का विचार कर रहे हैं, उनसे निवेदन है कि बारू के घोड़े पर नजर रखें। यह घोड़ा काला बाग के आसपास के घने जंगलों या ऊंचाई वाले स्थानों में भटक सकता है। समुदाय और परस्पर सहयोग की भावना में सभी पर्यटकों से आग्रह है कि अगर उन्हें कोई जानकारी मिलती है, तो कृपया संपर्क करें, क्योंकि छोटी सी सूचना भी बारू और उनके साथी के पुनर्मिलन में सहायक हो सकती है।
निष्कर्ष:
बारू राम मांटा की कहानी हिमाचल प्रदेश के उस सामुदायिक जीवन का उदाहरण है, जहां स्थानीय लोग और यात्री एक-दूसरे के साथ मिलकर सहारा देते हैं। अगर आप या आपके परिचित चूडधार की यात्रा पर जा रहे हैं, तो कृपया इस खबर को साझा करें और बारू के घोड़े पर नजर रखें। आपका छोटा सा प्रयास एक स्थानीय हीरो को अपने साथी से मिलाने में मददगार हो सकता है।
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