चम्बा जिले के सलूणी उपमंडल में वन विभाग की टीम ने 120 क्विंटल अवैध कशमल को जब्त किया है। यह कशमल सड़क किनारे और अन्य स्थानों पर अवैध तरीके से रखा गया था। इस कार्रवाई का नेतृत्व चुराह के डीएफओ सुशील कुमार ने किया। उन्होंने रेंज अधिकारी (RO) को निर्देश दिए हैं कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक सभी कशमल परमिट निलंबित रहें।
सरकारी वन भूमि से कशमल उखाड़ना अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि निजी भूमि से कशमल की निकासी के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है, लेकिन कुछ वन माफिया इसकी आड़ में सरकारी भूमि से कशमल की अवैध निकासी कर रहे हैं।
चुराह वन मंडल में बढ़ती अवैध निकासी
चुराह वन मंडल में हाल ही में निजी भूमि से कशमल निकासी की जा रही है। इस प्रक्रिया का फायदा उठाते हुए वन माफियाओं ने सरकारी जंगलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद वन विभाग की टीम ने चम्बा-सलूणी मार्ग के धारगला में अभियान चलाकर सड़क किनारे रखे कशमल को जब्त किया। सोमवार को टीम ने चकोली-हिमगिरी मार्ग के भड़ेला और लाहरा जैसे क्षेत्रों में भी कशमल कब्जे में लिया।

सख्त निर्देश और कार्रवाई
डीएफओ सुशील कुमार ने कहा कि जांच पूरी होने तक सभी परमिट बंद रहेंगे। समय सीमा के भीतर जांच पूरी न करने पर रेंज अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। विभाग सरकारी संसाधनों की सुरक्षा के लिए लगातार अभियान चला रहा है।
क्यों की जाती है कशमल की अवैध निकासी
कशमल (Berberis asiatica) एक महत्वपूर्ण झाड़ी है जिसका उपयोग औषधियों, रंग और खाद्य उद्योग में होता है। इसकी बाजार में बढ़ती मांग के कारण वन माफिया इसे अवैध रूप से उखाड़ते हैं। इस कारण पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।
आगे की रणनीति
वन विभाग ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी और सख्त करने का फैसला लिया है। अधिकारियों ने आम लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दें ताकि जंगलों को सुरक्षित रखा जा सके।
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