हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने 22 जुलाई 2025 को अपना 56वां स्थापना दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एचपीयू की स्थापना 1970 में हुई थी और तब से यह संस्थान शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इस विशेष अवसर पर उपस्थित होना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू किसी निजी कारणवश इस समारोह में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए शुभकामनाओं भरा संदेश भेजा।

मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि एचपीयू से अब तक ऐसे कई छात्र निकले हैं जो आज देश-विदेश में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। इन छात्रों में आईएएस, आईपीएस अधिकारी, न्यायिक सेवाओं में कार्यरत अधिकारी, डॉक्टर, पत्रकार, वैज्ञानिक, शिक्षक और राजनेता शामिल हैं, जो हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज के दौर में शिक्षा एक व्यवसाय बनती जा रही है, लेकिन एचपीयू ने हमेशा गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की मेहनत, छात्रों की लगन और प्रशासन की प्रतिबद्धता ने इस संस्थान को एक अलग पहचान दी है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय में पांच नए शोध अध्ययन केंद्रों का उद्घाटन किया गया। इन केंद्रों का उद्देश्य न केवल उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करना है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और तकनीकी विकास में भी योगदान देना है। ‘सेंटर फॉर ग्रीन एनर्जी एंड नैनोटेक्नोलॉजी’ स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अनुसंधान को बढ़ावा देगा और ‘ग्रीन हिमाचल’ के सपने को साकार करने की दिशा में कार्य करेगा। ‘सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड साइबर फिजिकल सिस्टम्स’ छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा जैसी डिजिटल चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।

इसी तरह, ‘सेंटर फॉर हिमाचली कल्चर एंड हेल्थ’ राज्य की लोक भाषाओं, पारंपरिक कलाओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का कार्य करेगा और उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सहायता करेगा। ‘हिमालयन सेंटर फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड रेसिलिएंस’ हिमाचल की भौगोलिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए आपदा पूर्वानुमान और समाधान से जुड़ा शोध करेगा। इसके अतिरिक्त, ‘रामानुजन सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स एंड इंडियन मैथमेटिक्स’ भारतीय पारंपरिक गणितीय ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने का कार्य करेगा और श्रीनिवास रामानुजन की परंपरा को आगे बढ़ाएगा।
समारोह के दौरान एचपीयू और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के बीच हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह साझेदारी दोनों संस्थानों के बीच संयुक्त अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास के नए अवसर खोलेगी।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत 12वीं कक्षा के 20 छात्रों को सम्मानित किया गया। इनमें बालिका आश्रम मशोबरा की 10 छात्राएं और बाल आश्रम टूटीकंडी के 10 छात्र शामिल रहे। मंत्री ने बताया कि यह योजना अनाथ और बेसहारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, आवास और पोषण प्रदान करती है ताकि वे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकें।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक वीडियो संदेश भी समारोह के दौरान प्रसारित किया गया जिसमें उन्होंने एचपीयू को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं है, बल्कि प्रदेश के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए अपने वेतन से मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान देने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का आभार भी व्यक्त किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह ने कहा कि एचपीयू को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए शोध गतिविधियों को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उच्च कोटि के शोध कार्य ही विश्वविद्यालय की रैंकिंग को सुधार सकते हैं और इसका सकारात्मक प्रभाव आने वाले समय में अवश्य दिखाई देगा।
इस अवसर पर नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, उपमहापौर उमा कौशल, आईआईटी रोपड़ के निदेशक डॉ. राजेश आहूजा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन मंत्रालय के संयुक्त निदेशक कर्नल मनोरम यादव, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान से डॉ. सिराज किरमानी, राजीव गांधी कैंसर अस्पताल दिल्ली से सहायक निदेशक डॉ. सुमित गोयल और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के गणेश नारायण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
यह स्थापना दिवस न केवल एचपीयू के गौरवशाली इतिहास को मनाने का अवसर था, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम भी था। शोध केंद्रों की स्थापना, आईआईटी रोपड़ के साथ साझेदारी और छात्रों के लिए नई योजनाओं के माध्यम से विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि वह आने वाले वर्षों में शिक्षा, शोध और सामाजिक विकास के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
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