किसानों के नाम पर 36 करोड़ का फर्जीवाड़ा: झबरेड़ा में दो आरोपी गिरफ्तार, पुलिस की बड़ी कार्रवाई

हरिद्वार जिले के झबरेड़ा थाना क्षेत्र में किसानों के नाम पर करोड़ों रुपये का लोन लेकर फर्जीवाड़ा करने का बड़ा मामला सामने आया है। झबरेड़ा पुलिस ने इस मामले में 36 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस फर्जीवाड़े में किसानों के नाम पर लोन लिया गया, जबकि किसानों को इसकी जानकारी तब मिली जब उनके पास लोन की अदायगी के नोटिस पहुंचने लगे।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी पवन ढींगरा और उमेश शर्मा हैं, जो उस समय शुगर मिल के प्रबंधक थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया और इस मामले में अन्य लोगों की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने 2008 से 2020 के बीच कई फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की इकबालपुर शाखा से किसानों के नाम पर लोन लिया।

फर्जीवाड़ा कैसे हुआ उजागर

किसानों को फर्जीवाड़े का पता तब चला जब उनके पास लोन की अदायगी के नोटिस आने लगे। पहले तो किसानों को समझ नहीं आया कि उनके नाम पर लोन कैसे लिया गया, जबकि उन्होंने कभी किसी प्रकार का लोन नहीं लिया था। इसके बाद, किसानों ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की और डीजीपी को पूरे मामले की जानकारी दी गई।

जांच में मिली बैंक और शुगर मिल की मिलीभगत

शिकायतों के आधार पर डीजीपी ने मामले की गहन जांच शुरू करवाई। प्रारंभिक जांच में पंजाब नेशनल बैंक की इकबालपुर शाखा और शुगर मिल प्रबंधन के बीच मिलीभगत की बात सामने आई। पुलिस के अनुसार, बैंक शाखा और शुगर मिल के तत्कालीन अधिकारियों ने मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।

डीजीपी ने तत्कालीन चौकी प्रभारी को निर्देश दिया कि वे इस मामले में 2021 में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराएं। इस मामले में पुलिस ने विस्तृत जांच के लिए CBCID और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दिया है।

जांच का दायरा

पुलिस और EOW की टीमों ने जांच के दौरान पाया कि यह फर्जीवाड़ा 2008 से 2020 के बीच हुआ है। इस अवधि में आरोपियों ने कई किसानों और मजदूरों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से लोन लिया। पुलिस के अनुसार, इस फर्जीवाड़े में शामिल लोग बैंकों और सरकारी नीतियों का दुरुपयोग कर रहे थे।

अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों ने उन किसानों के नाम का इस्तेमाल किया जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और जिन्होंने कभी लोन लेने का सोचा भी नहीं था। ऐसे में बैंक और शुगर मिल के अधिकारियों ने मिलकर एक जटिल योजना के तहत किसानों के नाम पर करोड़ों रुपये का लोन लिया और इस राशि का गबन कर लिया।

गिरफ्तारियां और आगे की कार्यवाही

रविवार को पुलिस ने पवन ढींगरा और उमेश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया, जो शुगर मिल के तत्कालीन प्रबंधक थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में और भी कई लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।

एसपी देहात का बयान

हरिद्वार के एसपी देहात ने इस मामले पर एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फर्जीवाड़े में जो भी व्यक्ति शामिल होगा, उसे किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।

एसपी ने बताया कि यह एक बेहद गंभीर मामला है, जिसमें किसानों की आर्थिक सुरक्षा और उनके नाम का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की टीम इस मामले की जड़ तक जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और सभी संभावित आरोपियों की जांच कर रही है।

CBCID और EOW की भूमिका

मामले की गंभीरता को देखते हुए इस जांच को CBCID और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंपा गया है। इन दोनों एजेंसियों की टीमों ने अब तक के जांच में यह पाया है कि यह फर्जीवाड़ा एक संगठित अपराध है, जिसमें कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। EOW ने इस बात की भी पुष्टि की है कि इस मामले में अभी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और अन्य बैंकिंग रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है।

किसानों पर फर्जीवाड़े का असर

इस फर्जीवाड़े का असर सीधे तौर पर किसानों पर पड़ा है। जिनके नाम पर लोन लिया गया था, वे अब खुद को वित्तीय और कानूनी उलझनों में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। कई किसानों के पास तो इस फर्जीवाड़े के बाद कोई चारा नहीं बचा, क्योंकि उनके नाम पर ली गई लोन राशि की वसूली के नोटिस उनके घरों तक पहुंच गए हैं।

कुछ किसानों ने इस मामले में अपने आर्थिक हालात के बारे में भी बात की और बताया कि वे इतने सक्षम नहीं हैं कि इस लोन को चुका सकें। इससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ा है और वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

यह फर्जीवाड़ा केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डालता है। किसानों का बैंकिंग प्रणाली में भरोसा टूट रहा है और इस प्रकार की घटनाएं उन्हें आर्थिक विकास से दूर करती हैं।

निष्कर्ष

इस पूरे मामले में पुलिस की जांच जारी है और अन्य आरोपियों की भी तलाश की जा रही है। किसानों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा कड़ी मेहनत कर रही है। हरिद्वार के एसपी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

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