कहा जाता है कि जब एक नारी शिक्षित और सशक्त होती है तो वह केवल अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को नई दिशा देने का कार्य करती है। इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए धर्मशाला में उपायुक्त हेम राज बैरवा ने 17 सितम्बर को “सशक्त नारी, सशक्त परिवार अभियान” और “पोषण अभियान 2.0” का शुभारंभ किया। यह अभियान क्रमशः 17 सितम्बर से 2 अक्तूबर तथा 17 सितम्बर से 16 अक्तूबर 2025 तक पूरे जिले में चलाया जाएगा।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान केंद्रित करना तथा समाज में सामूहिक जागरूकता फैलाना है।
नारी सशक्तिकरण : एक मजबूत समाज की नींव
उपायुक्त हेम राज बैरवा ने अपने संबोधन में कहा कि “जब महिला सशक्त होगी तभी परिवार, समाज और देश सशक्त बन पाएंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में महिलाएं शिक्षा, विज्ञान, खेल, राजनीति और व्यवसाय जैसे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।
• यदि परिवार की महिला शिक्षित और जागरूक है तो वह पूरे परिवार को प्रगति की राह दिखा सकती है।
• नारी को केवल घरेलू कार्यों तक सीमित न रखकर उसके सपनों और लक्ष्यों को समर्थन देना आवश्यक है।
• सशक्त महिला ही बच्चों की बेहतर परवरिश कर सकती है, जिससे आने वाली पीढ़ी अधिक मजबूत और जागरूक बनेगी।
पोषण अभियान 2.0 : कुपोषण के खिलाफ एक नई पहल
भारत जैसे विशाल देश में कुपोषण आज भी एक गंभीर समस्या है। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने पोषण अभियान 2.0 की शुरुआत की है। उपायुक्त ने बताया कि यह अभियान माताओं, बच्चों और किशोरियों को संतुलित पोषण, स्वास्थ्य सेवाएँ और प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
मुख्य उद्देश्य:
1. कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ना।
2. बच्चों और महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाना।
3. पहले 1000 दिनों (3 वर्ष तक) में बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देना।
4. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और माताओं को बच्चों की परवरिश के वैज्ञानिक तरीके बताना।
शुरुआती वर्षों में पोषण का महत्व
विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चे के जीवन के पहले तीन वर्ष उसके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद अहम होते हैं। यदि इस दौरान बच्चों को सही पोषण और पारिवारिक सहयोग मिले, तो उनका समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
उपायुक्त ने यह भी बताया कि बच्चों के विकास में केवल भोजन ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे खेल, परिवार के साथ संवाद और शैक्षिक गतिविधियाँ भी बेहद जरूरी हैं।

विशेषज्ञों की राय
आईसीडीएस कार्यक्रम अधिकारी अशोक शर्मा
उन्होंने जानकारी दी कि हिमाचल में केवल 40% महिलाएं ही अपने बच्चों को दो वर्ष तक स्तनपान कराती हैं। जबकि स्तनपान बच्चों को कुपोषण से बचाने का सबसे प्रभावी उपाय है। माताओं को मातृ एवं शिशु सुरक्षा कार्ड (MCP Card) के माध्यम से अपने बच्चों के विकास चार्ट पर नियमित नजर रखनी चाहिए।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सूद
उन्होंने टीबी मुक्त अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अभियान पूरी तरह जन-भागीदारी पर आधारित है और यदि समाज के सभी वर्ग सहयोग करें तो देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाया जा सकता है।
उपमंडल आयुर्वेद अधिकारी डॉ. बबीता
उन्होंने लोगों को अपनी दिनचर्या में योग और स्वास्थ्यवर्धक आहार को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों को घरों की वाटिका में लगाना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
विशेष पहल : अन्नप्राशन संस्कार
कार्यक्रम में एक अनोखी पहल के तहत उपायुक्त हेम राज बैरवा ने एक शिशु का अन्नप्राशन संस्कार भी करवाया। इस पहल का उद्देश्य समाज में यह संदेश देना था कि बच्चों के शुरुआती वर्षों में पोषण पर विशेष ध्यान देना बेहद आवश्यक है।
महिलाओं और बच्चों की भागीदारी
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायक महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताओं ने हिस्सा लिया।
• पोषण से संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
• प्रतिभागियों ने कुपोषण और पोषण संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
निष्कर्ष
सशक्त नारी, सशक्त परिवार अभियान और पोषण अभियान 2.0 केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं हैं, बल्कि ये समाज में गहरा परिवर्तन लाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। महिलाओं को जागरूक और सशक्त बनाकर हम आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ, शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक बना सकते हैं।
उपायुक्त हेम राज बैरवा के संदेश ने स्पष्ट किया कि नारी ही समाज की धुरी है। यदि वह शिक्षित और जागरूक होगी, तो परिवार और समाज स्वतः सशक्त हो जाएगा।
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