ग्रेटर नोएडा के गामा 1 सेक्टर में स्थित एक निजी अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां चिकित्सकीय लापरवाही के कारण 7 साल के एक बच्चे की दाईं आंख का ऑपरेशन किया गया, जबकि उसकी बाईं आंख में समस्या थी। यह घटना 12 नवंबर को हुई थी और इसने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनका बच्चा अब गंभीर स्थिति में है।
मामला कैसे हुआ?
परिवार के अनुसार, बच्चे की बाईं आंख में पानी आने की शिकायत थी। इसके चलते उसे आनंदा स्पेक्ट्रम अस्पताल में दिखाया गया था, जहां डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी। सर्जरी की वजह से इलाज के लिए 45,000 रुपये की राशि भी ली गई। बच्चे के पिता, नितिन भाटी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने उन्हें यह बताने के साथ-साथ एक प्लास्टिक की वस्तु की तस्वीर भी दिखाई, जिसे बच्चे की आंख से निकाला गया था।
लेकिन जब वे घर लौटे, तो बच्चे की मां ने देखा कि ऑपरेशन दाईं आंख का किया गया था, जबकि समस्या तो बाईं आंख में थी। इसके बाद, परिवार में खलबली मच गई और वे तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करने पहुंचे।
डॉक्टर की गलती का स्वीकार करना
इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए अपनी ओर से मध्यस्थता की कोशिश की। बीटा 2 थाने के अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे और संबंधित चिकित्सक और परिवार के बीच संवाद करने की कोशिश की। डॉक्टर ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा, “मुझसे बस दाएं-बाएं में गलती हो गई। यह मेरी गलती है, मैं इसे स्वीकार करता हूं।”
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हालांकि, डॉक्टर ने यह भी कहा कि वह पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि बच्चा महज 5 दिनों में ठीक हो जाएगा। इसके बावजूद, बच्चे के माता-पिता इस गलती को छोटी नहीं मानते।
कानूनी कार्रवाई की संभावना
बीटा 2 थाने के अधिकारियों के अनुसार, परिवार ने इस मामले में औपचारिक शिकायत अभी तक दर्ज नहीं कराई है। हालांकि, परिवार द्वारा डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने इस मामले में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया और क्यों इस गंभीर गलती को पहले स्वीकार नहीं किया।
चिकित्सकीय लापरवाही का असर
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या निजी अस्पतालों में सही तरीके से इलाज और जांच का ध्यान रखा जाता है? चिकित्सकीय लापरवाही के कारण ना केवल मरीजों को मानसिक और शारीरिक पीड़ा सहनी पड़ती है, बल्कि उनके परिवारों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारी और सावधानी से पेश आना चाहिए ताकि ऐसे मामलों से बचा जा सके।
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निष्कर्ष
ग्रेटर नोएडा में हुए इस ऑपरेशन के मामले ने चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही के गंभीर सवालों को सामने लाया है। हालांकि, चिकित्सक ने अपनी गलती स्वीकार की है, लेकिन यह घटना इस बात का अहसास कराती है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। हम सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इलाज में लापरवाही से जीवन पर क्या असर हो सकता है।
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