राजकीय महाविद्यालय रिड़कमार में एक दिवसीय आपदा प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला NDRF (National Disaster Response Force) की 14वीं बटालियन और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) कांगड़ा के संयुक्त प्रयास से आयोजित की गई।
कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों और स्थानीय समुदाय को आपदा से बचाव और प्रबंधन के आधुनिक तरीकों से परिचित कराना था।

सीपीआर और प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण:
NDRF टीम के मास्टर ट्रेनर इंस्पेक्टर मोहिंदर सिंह ने छात्रों को आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोगी सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) तकनीक सिखाई। उन्होंने दुर्घटना के समय खून रोकने के व्यावहारिक उपाय और विभिन्न आपदाओं के दौरान बचाव कार्यों के तरीके भी बताए।

फायर सेफ्टी और आग बुझाने के तरीके:
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रतिनिधि श्री नरेंद्र कुमार ने फायर सेफ्टी पर विशेष सत्र का आयोजन किया। उन्होंने आग के तीन घटकों – ईंधन, गर्मी, और ऑक्सीजन – को नियंत्रित करने के वैज्ञानिक तरीकों को विस्तार से समझाया। इसके अलावा, एलपीजी गैस आग से बचाव के व्यावहारिक तरीके भी प्रदर्शित किए।

भूकंप जागरूकता और सुरक्षा:
कार्यशाला में श्री हरजीत भुल्लर ने वीडियो प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों को कांगड़ा जिले की भूकंप संवेदनशीलता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हैती, जापान, और नेपाल में आए भूकंपों के उदाहरण देकर भूकंप के समय सावधानी बरतने के उपाय बताए।
उन्होंने छात्रों से अपील की कि आपदा के समय घबराने के बजाय सूझबूझ से काम लें।

कार्यक्रम संचालन और उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
कार्यशाला का संचालन महाविद्यालय के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के संयोजक सहायक प्रोफेसर हाकम चंद ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. युवराज सिंह, प्रोफेसर मनोज कुमार, प्रोफेसर आशा मिश्रा, और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

कार्यशाला में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस आयोजन ने न केवल छात्रों को आपदा प्रबंधन में कुशल बनाया बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया।
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