हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के उपमंडल चुराह में सरकारी जमीन से औषधीय पौधे ‘कसमल’ के अवैध दोहन को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। प्रशासन और वन विभाग की कथित सुस्ती के चलते स्थानीय लोगों ने खुद ही जंगलों की पहरेदारी शुरू कर दी है। मंगलवार रात कल्हेल क्षेत्र में ठेकेदार के मजदूर कसमल उखाड़ते हुए पकड़े गए। ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें रोकते हुए जमकर फटकार लगाई और वहां से खदेड़ दिया।
ग्रामीणों का आरोप है कि दिन में रोक-टोक के डर से माफिया रात के अंधेरे में गाड़ियां भर-भर कर कसमल को डंपिंग साइटों तक पहुंचा रहे हैं। नियमों के अनुसार केवल निजी भूमि से वन विभाग की अनुमति के बाद 40 प्रतिशत कसमल ही निकाली जा सकती है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में अनुमति दी गई है, वहां निजी भूमि पर कसमल मौजूद नहीं है। आरोप है कि ठेकेदार सरकारी जंगलों को निशाना बना रहे हैं और वन विभाग की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव नहीं।

चुराह क्षेत्र हाल ही में प्राकृतिक आपदा की मार झेल चुका है। भूस्खलन के कारण कई गांवों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि कसमल की जड़ों को उखाड़ने से पहाड़ी मिट्टी ढीली हो रही है, जो भविष्य में नई आपदा का खतरा बढ़ा सकती है।
स्थानीय पंचायत प्रधानों ने एसडीएम से मिलकर अवैध खनन पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारी जमीन से कसमल निकालना बंद नहीं हुआ और विभाग ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो लोग सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे।
एसडीएम चुराह राजेश कुमार जरयाल ने मामले की पुष्टि की और कहा कि केवल निजी भूमि से वन विभाग की अनुमति के बाद 40 प्रतिशत कसमल ही निकाली जा सकती है। उन्होंने बताया कि सरकारी जमीन से कसमल उखाड़ने की शिकायतों को लेकर वन विभाग को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
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