जिला मुख्यालय के पास चामुंडा नगर में भारी बारिश ने बड़ा कहर ढाया है। यहां लगातार बरसात के चलते एक अढ़ाई मंजिला लकड़ी का मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे इसमें रहने वाले 7 परिवार बेघर हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि ये मकान 1980 के दशक में बनाया गया था। कुछ साल पहले वन विभाग ने इसे सील कर दिया था, लेकिन मकान मालिक को दो कमरे अस्थायी रूप से रहने के लिए दिए गए थे। अब वही कमरे भी बारिश की मार झेलते हुए पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।
इस पुराने मकान के चारों ओर लोगों के लिए आने-जाने का रास्ता भी है। ऐसे में इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों को भी खतरा बना हुआ है।
“घर नहीं बचा, जमीन नहीं बची…अब कहां जाएं?”
शबनम, जो इस मकान में अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहती थीं, बताती हैं कि उनका पूरा मकान लकड़ी का था, जो अब सिर्फ मलबा बनकर रह गया है।
“कुछ सामान तो किसी तरह बाहर निकाला, लेकिन बाकी सब मलबे के नीचे दब गया,” शबनम ने कहा।
उन्होंने आगे बताया, “पिता जी बहुत मुश्किल से घर चला रहे थे। अब हमारे पास न रहने की जगह है, न ही कोई जमीन। हम सरकार और प्रशासन से गुजारिश करते हैं कि हमें रहने का कोई उचित स्थान दिया जाए और आर्थिक मदद भी मिले।”
मकान मालिक कुशल चंद बोले – “अब कुछ नहीं बचा”
कुशल चंद, जो इस मकान के मालिक हैं, ने बताया कि यह मकान उन्होंने 1980 में बनाया था।
“इस मकान में मेरी 4 बेटियां, एक बेटा और कुल 7 परिवार रहते थे। कुछ साल पहले वन विभाग ने इसे सील किया और 2 कमरे रहने को दिए। अब वही कमरे भी पूरी तरह से टूट चुके हैं।”
उन्होंने सरकार से साफ अपील की – “अब न घर है, न जमीन। हमें राहत और मदद दी जाए।”
पार्षद ने भी की मदद की मांग
मनोनीत पार्षद ज्ञान चंद ने भी इस पूरे मामले पर प्रशासन से जल्द राहत देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि चामुंडा नगर में कुशल चंद का मकान गिर गया है, जिसमें 7 परिवार रहते थे। मकान के चारों ओर आम रास्ता है, जिससे आने-जाने वालों को भी खतरा है।
“प्रभावित परिवारों को तुरंत आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए,” उन्होंने कहा।
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