Chamba: चंबा मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं की कमी, कैंसर मरीजों को अब भी टांडा-पठानकोट जाने की मजबूरी

चंबा के पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। मरीजों को आज भी टांडा मेडिकल कॉलेज कांगड़ा और पठानकोट के अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चंबा में करीब 500 कैंसर मरीज हैं, लेकिन यहां प्राथमिक उपचार की भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। मेडिकल कॉलेज को खुले हुए छह साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक यहां की जनता को उचित स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है।

जनहित संगठन के संयोजक शादीलाल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपये की मशीनरी, जिसमें एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं शामिल हैं, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण बेकार पड़ी हुई हैं। चंबा जिले की छह लाख से अधिक आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले इस अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की हालत सुधरने के बजाय और खराब हो रही है।

चिकित्सकों और आधारभूत ढांचे की कमी के कारण मरीजों को समय पर जांच और बेहतर उपचार नहीं मिल रहा है। गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद टांडा और शिमला रेफर कर दिया जाता है। सुविधाओं के अभाव में मेडिकल कॉलेज एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। जनहित संगठन ने सरकार से मांग की है कि मेडिकल कॉलेज चंबा की समस्याओं को जल्द से जल्द हल किया जाए ताकि मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल चंबा में 250 से 300 मरीज भर्ती रहते हैं, लेकिन बेड की संख्या कम होने के कारण एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है। अस्पताल में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर की भी कमी है, और जो उपलब्ध हैं, वे भी खराब हालत में हैं। इससे मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक ले जाना मुश्किल हो रहा है।

टेस्ट लैब में भी सभी तरह के टेस्ट की सुविधा नहीं मिलती, जिससे लोगों को निजी लैब में जाकर जांच करवानी पड़ती है। रोजाना 500 से 600 मरीज जांच और इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचते हैं, लेकिन कई ओपीडी में डॉक्टरों के समय पर न पहुंचने के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

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