हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीडीसी सदस्य सुषमा देवी के निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने पंचायती राज विभाग के सचिव और निदेशक सहित कांगड़ा के उपायुक्त से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।
यह मामला कांगड़ा जिले के लंबागांव खंड की पंचायत समिति गंदड़ बरड़ाम की सदस्य सुषमा देवी से जुड़ा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के फेरीवालों से अभद्र व्यवहार किया और उन्हें “जय श्रीराम” का नारा लगाने के लिए मजबूर किया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला पुलिस तक पहुंचा।
पुलिस चौकी आलमपुर में फेरीवालों ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO) ने जांच की। जांच के आधार पर उपायुक्त कांगड़ा ने सुषमा देवी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। सुषमा देवी ने अपने जवाब में सभी आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन प्रशासन ने उनके जवाब को संतोषजनक नहीं माना।
पंचायती राज अधिनियम के तहत, उपायुक्त ने सुषमा देवी को 5 दिसंबर 2024 को निलंबित कर दिया। इसके बाद सुषमा देवी ने हाईकोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि निलंबन राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।
अदालत ने फिलहाल राज्य सरकार से जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है। यह मामला न केवल कानूनी पहलुओं को उजागर करता है, बल्कि पंचायत स्तर पर जिम्मेदार पदाधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाता है।
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