Himachal: हिमाचल प्रदेश सरकार का नशे को बढ़ावा देने वाला रवैया: एक गंभीर चिंता

हिमाचल प्रदेश सरकार पर हाल ही में नशे को वैध करने के प्रयासों को लेकर आलोचनाएं उठ रही हैं, विशेष रूप से भांग (कैनाबिस) को औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए वैध बनाने की दिशा में। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक, सतपाल सत्ती ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार नशे को बढ़ावा दे रही है, जिससे युवाओं का ध्यान रोजगार और अन्य जरूरी मुद्दों से हट सके।

सत्ती का कहना है कि सरकार का यह कदम भांग को औषधीय और औद्योगिक उपयोग के नाम पर वैध करने का, केवल नशे के कारोबार में शामिल लोगों को फायदा पहुंचाने का प्रयास है। उनका मानना है कि इस तरह के कदम नशे की समस्या को और बढ़ा सकते हैं, जो पहले से ही राज्य में एक गंभीर समस्या बन चुकी है।

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने सत्ता में आते ही राज्य में लगभग 400 नए शराब के ठेके खोले हैं, जो शराब और नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का कारण बने हैं। सत्ती का कहना है कि इससे युवाओं के बीच नशे की आदतें बढ़ रही हैं।

सत्ती ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस को आदेश दिया है कि यदि कोई व्यक्ति नशे में मिले तो उसे बिना सजा दिए घर भेज दिया जाए। उन्होंने हाल ही में शिमला में हुए विंटर कार्निवाल का उदाहरण दिया, जिसमें कई युवक शराब की बोतल हाथ में लेकर नाचते हुए देखे गए, जो नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का स्पष्ट संकेत है।

सत्ती ने राज्य में चिट्टे (सिंथेटिक ड्रग्स) के बढ़ते प्रचलन पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कई युवा इस नशे के शिकार हो रहे हैं और इसकी ओवरडोज से मौतें हो रही हैं, जो नशे की गंभीरता को और बढ़ा रही है।

हालांकि, सरकार नशे की समस्या से निपटने का दावा करती है, लेकिन सत्ती का कहना है कि इन प्रयासों में विसंगति है। वे मानते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा नशे के खिलाफ की गई बयानबाजी के विपरीत, सरकार की नीतियां नशे को बढ़ावा दे रही हैं, खासकर भांग को वैध करने का कदम। सत्ती ने सुझाव दिया कि सरकार को नशे के खिलाफ एक सशक्त अभियान चलाना चाहिए, न कि इसे बढ़ावा देने वाली नीतियां अपनानी चाहिए।

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