हिमाचल प्रदेश में बिजली लाइनों पर काम करते समय सुरक्षा नियमों का सही तरीके से पालन न करने के कारण पिछले 4 वर्षों में 27 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) द्वारा जारी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता तो इन मौतों को टाला जा सकता था।
इन मौतों में से 17 मामले बिजली बोर्ड के नियमित कर्मचारियों के थे, जबकि 10 मामले आउटसोर्स कर्मचारियों या बाहरी व्यक्तियों से संबंधित थे। अधिकांश हादसे हेलमेट और दस्ताने न पहनने या मरम्मत कार्य के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने के कारण हुए।
लापरवाही के कारण हादसे
बिजली बोर्ड प्रबंधन का मानना है कि सुरक्षा नियमों का पालन करने से इन दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है। हालांकि, शिमला और राज्य के अन्य क्षेत्रों में काम कर रही निजी कंपनियां अक्सर इन नियमों का पालन नहीं करती हैं, जिससे उनके कर्मचारी भी खतरे में रहते हैं। निजी कर्मचारियों के हादसों का कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है, जिससे समस्या का समाधान और कठिन हो जाता है।
बिजली बोर्ड के सलाहकार अनुराग पराशर के अनुसार, फील्ड कर्मचारियों के लिए हेलमेट और इन्सुलेटेड दस्ताने जैसे उपकरण पहनना अनिवार्य किया गया है। बोर्ड ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं कि मरम्मत कार्य करते समय इन नियमों का पालन किया जाए।
जागरूकता और भविष्य की योजनाएं
इस मुद्दे को हल करने के लिए, मार्च 2025 में एक विशेष सुरक्षा जागरूकता सप्ताह आयोजित करने की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों और प्रोटोकॉल के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस तरह की पहल से भविष्य में रोके जाने योग्य मौतों और चोटों को टाला जा सकेगा।
सुरक्षा नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई की मांग
हिमाचल प्रदेश में बढ़ते हादसे यह दर्शाते हैं कि राज्य में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना कितना जरूरी है। बोर्ड का प्रबंधन इस दिशा में सतर्क हो चुका है, लेकिन निजी कंपनियों और आउटसोर्स कर्मचारियों की जवाबदेही भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। बिना समग्र प्रयासों के, सैकड़ों श्रमिकों की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।
कर्मचारियों और परिवारों पर प्रभाव
हर दुर्घटना के पीछे एक कहानी होती है—परिवारों का गम, रोज़गार का नुकसान, और टूटे हुए सपने। सरकार और बिजली बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुरक्षा नियम केवल कागज़ों तक सीमित न रहें, बल्कि उनका पालन अनिवार्य हो। इसमें नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम, कड़े ऑडिट और नियमों का पालन न करने वालों पर जुर्माना शामिल होना चाहिए।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश के बिजली क्षेत्र में रोकी जा सकने वाली दुर्घटनाएं यह दिखाती हैं कि सुरक्षा नियमों को लागू करना और उनका पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। मार्च 2025 का जागरूकता अभियान सही दिशा में एक कदम है, लेकिन लंबे समय तक सभी संबंधित पक्षों की प्रतिबद्धता आवश्यक है, ताकि हर कर्मचारी सुरक्षित अपने घर लौट सके।
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